Pilot Baba: आध्यात्मिक गुरु और जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर 'पायलट बाबा' का 86 साल की उम्र में निधन हो गया. वह पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे. दिल्ली के अपोलो अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. यहां बुधवार को पायलट बाबा ने आखिरी सांस ली. उनका अंतिम संस्कार हरिद्वार में किया जाएगा. पायलट बाबा के नाम से लेकर उनके महामंडलेश्वर बनने तक की कहानी बेहद रौचक है. पायलट बाबा ने चीन के खिलाफ युद्ध लड़ने से लेकर मनोरंजन की दुनिया यानी बॉलीवुड में भी काम किया था, लेकिन एक दिन उनका इन सभी चीजों से विश्वास उठ गया और पायलट बाबा संन्यासी बन गये. आइए जानते हैं विंग कमांडर से लेकर महामंडलेश्वर बनने तक का पूरा सफर...
यहां हुआ था पायलट बाबा का जन्म
पायलट बाबा का असली नाम कपिल सिंह था. उनका जन्म बिहार के रोहतास जिले में स्थित सासाराम में एक राजपूत परिवार में हुआ था. कपिल सिंह बचपन से ही अक्रामक होने के साथ ही पढ़ाई लिखाई में भी बेहद मेधावी छात्रों में से एक थे. उनकी पढ़ाई लिखाई बीएचयू में हुई. यहीं से कपिल सिंह एयरफोर्स में पायरल बन गये थे.
तेजी से पाएं कई प्रमोशन
तेज तर्रार होने के साथ ही कपिल बेहद बहादुर थे. उन्होंने सेना में भी अपना नाम किया. चनी से लेकर पाकिस्तान से हुए कई युद्धों में अहम भूमिका निभाई. इसी के बल पर वह एक के बाद एक प्रमोशन पाकर विंग कमांडर के पद पर पहुंच गये. इस दौरान पायलट बाबा ने सबसे पहले भारत और चीन की लड़ाई में हिस्सा लिया. इसके बाद दो भारत-पाक युद्ध में शामिल हुए. यहां दोनों युद्धों में जीत दर्ज करने पर उन्हें सम्मानित किया गया, लेकिन इसी के बाद कुछ ऐसा हुआ कि कपिल सिंह ध्यान अध्यात्म में लग गया. वह कपिल सिंह बाबा बनने की तरफ चल दिये.
इस घटना के बाद कपिल सिंह से बाबा बनने का किया निश्चय
1971 में भारत और पाकिस्तान युद्ध के बीच विंग कमांडर कपिल सिंह के साथ ऐसी घटना घटी, जिसके बाद उनका संसार से मोह भंग गया. वह अध्यात्म की तरफ चल दिये. बताया जाता है कि युद्ध के दौरान वह विमान मिग 21 चला रहे थे. तभी विमान में कोई तकनीकी खराबी आ गई. विंग कमांडर कपित सिंह को लगा कि अब जिंदगी पूरी हो गई और मौत निश्चित है. उन्होंने अंतिम क्षण में अपने गुरु को याद किया. उन्होंने इंटरव्यू और किताब में बताया कि इसके बाद उन्हें एहसास हुआ कि कॉकपिट में उनके गुरु आ गए. उन्होंने ही विमान की सुरक्षा लैंडिंग कराने में मदद की. इसके बाद वह अध्यात्म के ऐसे वैरागी हुए कि वीआरएस ले लिया.
बॉलीवुड में भी आजमाया हाथ
विंग कमांडर रहे पायलट बाबा ने नौकरी से वीआरएस लेने के बाद बॉलीवुड में भी हाथ आजमाया. उन्होंने एक फिल्म में बनाई, लेकिन यहां भी उनका मन नहीं लगा तो कपिल सिंह ने 1974 जूना अखाड़ा में दीक्षा ली. साल 1998 में महामंडलेश्वर का पद मिला और फिर साल 2010 में उन्हें उज्जैन के प्राचीन जूना अखाड़ा शिवगिरी आश्रम नीलकंठ मंदिर में पीठाधीश्वर नियुक्त किया गया. उन्होंने तपस्या की. पिछले कुछ समय से पायलट बाबा का स्वास्थ्य खराब चल रहा था. यहां उन्हें सांस लेने में दिक्कत थी, जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.
- Log in to post comments
कौन थे जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर पायलट बाबा? एयरफोर्स से लेकर बॉलीवुड तक से था नाता