डीएनए हिंदीः अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन में अब कुछ ही दिन बचे हैं. अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर का उद्घाटन सोमवार, 22 जनवरी 2024 को बड़ी धूमधाम से किया जाएगा. राम जन्मभूमि पर राम मंदिर की स्थापना का राम भक्त सैकड़ों वर्षों से इंतजार कर रहे हैं. अब जाकर उनका इंतजार खत्म होने वाला है. राम मंदिर के उद्घाटन के मौके पर 22 जनवरी से 25 मार्च तक विभिन्न कार्यक्रम होंगे. इस दौरान राम कथा और राम लीला चलती रहेगी.
अयोध्या का राम मंदिर दुनिया के सबसे बड़े मंदिरों में से एक बनने जा रहा है. यह मंदिर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मंदिर होगा. जानिए वास्तु के अनुसार इस मंदिर की खासियत.
राम मंदिर की वास्तुकला
राम मंदिर की वास्तुकला में छोटी-छोटी बारीकियों का ध्यान रखा गया है. राम मंदिर का मूल डिजाइन 1988 में अहमदाबाद में बनाया गया था. वहां के पूरे परिवार ने इस मंदिर की योजना बनाई. 15 पीढ़ियों से यह परिवार राम मंदिर का डिजाइन तैयार कर रहा है. पिछले कुछ वर्षों में मूल डिज़ाइन में बार-बार सुधार और विस्तार हुआ है. अहमदाबाद के इस संपुरा परिवार ने देश के विभिन्न हिस्सों में फैले बिड़ला मंदिरों को भी डिजाइन किया था. 2020 में संपुरा परिवार ने राम मंदिर की पुरानी योजना में कुछ बदलाव कर नई योजना बनाई. अयोध्या में राम मंदिर के मुख्य वास्तुकार चंद्रकांत संपुरा और उनके दो बेटे निखिल संपुरा और आशीष संपुरा थे. राम मंदिर का निर्माण वास्तुकला की 'नागरा' शैली के अनुसार किया गया था
राम मंदिर के बारे में विशेष जानकारी
अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर 380 फीट लंबा, 250 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा है. इस तीन मंजिला मंदिर की प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट है. मंदिर में कुल 392 स्तंभ और 44 द्वार हैं. मुख्य गर्भगृह में श्री रामचन्द्र के बाल स्वरूप रामलला विराजमान रहेंगे. प्रथम तल पर श्री राम दरबार होगा. मंदिर में कुल पांच मंडप होंगे. इन पांच मंडपों में नृत्य के लिए मंडप, रंगों के लिए मंडप, प्रार्थना के लिए मंडप, भक्तों को इकट्ठा करने के लिए मंडप और कीर्तन के लिए मंडप शामिल होंगे. मंदिर में विभिन्न देवी-देवताओं की सुंदर मूर्तियां स्थापित की जाएंगी. राम मंदिर के खंभों और दीवारों पर देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी जाएंगी. मंदिर के चारों कोनों पर चार और मंदिर होंगे. ये चारों मंदिर मां भगवती, गणपति, सूर्यदेव और महादेव को समर्पित होंगे.
साथ ही मंदिर परिसर में महर्षि वाल्मिकी, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषधराज, मां सबरी और देवी अहिल्या के मंदिर होंगे. मंदिर परिसर में स्थित प्राचीन महादेव मंदिर एवं नवरत्न कुबेर टीले का पुनर्निर्माण कराया जाएगा. यहां जयतु की मूर्ति स्थापित की जायेगी. उल्लेखनीय बात यह है कि इस मंदिर के निर्माण में लोहे का उपयोग नहीं किया गया है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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राम मंदिर किस वास्तु रीति से बन रहा है? मंदिर के चारों ओर सदैव रहेगी सकारात्मक ऊर्जा