डीएनए हिंदीः सदियों पहले, धार्मिकता को कायम रखने के लिए एक असाधारण गुणी राजकुमार, उनकी समर्पित पत्नी और भाई जंगल की यात्रा यानी वनवास को गए थे. की गई थी. उन्होंने आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उदाहरण स्थापित करने के लिए उग्र राक्षसों, कांटों, भूख, प्यास, थकान और कठोर मानसिक परीक्षणों का सामना किया. अपनी यात्रा के दौरान, वे महान साधुओं, विशाल पक्षियों, मायावी आवासों, वानर जनजाति से मिले और मानव जाति के अनुसरण के लिए एक निशान छोड़ गए.
लिए जानें कि 14 साल के वनवास में जहां भगवान राम रहे वो जगहें आज किस राज्य में कहां हैं.
अयोध्या, उत्तर प्रदेश
यदि इस महाकाव्य यात्रा का पता लगाना हो, तो अयोध्या सबसे उपयुक्त स्थान है. राम का जन्म स्थान माना जाता है, इसमें कई मंदिर और स्थल हैं जो इसे रामायण से जोड़ते हैं.
तमसा नदी- ये वो नदी है जिसे भगवान राम ने नाव के जरिए पार की थी. ये जगह आयोध्या से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
श्रृंगवेरपुर तीर्थ- श्रीराम ने इस जगह पर केवट से गंगा पार कराने को कहा था. इस जगह को अब सिंगरौर कहा जाता है और रामायण में भी इस जगह का उल्लेख किया गया है. इस जगह का वर्णन रामायण में निशादराज के राज्य की राजधानी के रूप में किया गया. बता दें कि ये जगह प्रयागराज से 20-22 किलोमीटर की दूरी पर स्ठित है.
कुरई- श्रृंगवेरपुर तीर्थ में गंगा पार करने के बाद श्रीराम कुरई में ही रुके थे.
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
प्रयागराज, जहां राम ने 14 साल के वनवास के दौरान आने वाली कठिनाइयों से बचने के लिए ऋषि भारद्वाज से आशीर्वाद और ज्ञान प्राप्त करने के लिए मुलाकात की थी. श्रीलंका से लौटने पर, राम और उनके अनुयायी अयोध्या के लिए आगे बढ़ने से पहले एक बार फिर ऋषि भारद्वाज के आश्रम में उतरे.
चित्रकूट, मध्य प्रदेश
माना जाता है कि यात्रा के सबसे महत्वपूर्ण पड़ावों में से एक, चित्रकूट में राम, सीता और लक्ष्मण अयोध्या से अपने निर्वासन के दौरान 11 वर्षों से अधिक समय तक रहे थे. यहीं पर राम और सीता की मुलाकात सात अमर ऋषियों में से एक, अत्रि और उनकी पवित्र पत्नी अनुसूया देवी से हुई थी. अपनी ऐतिहासिक मुलाकात के दौरान, सती अनुसूया ने पतिव्रत्य या अपने पति के प्रति एकनिष्ठ समर्पण के महत्व का महिमामंडन किया और सीता को आशीर्वाद दिया.
सतना- अत्रि ऋषि के आश्रम में राम जी ने कुछ समय बिताए थे.
दंडकारण्य- चित्रकूट से निकलने के बाद श्रीराम दंडकारण्य पहुंचे. यहां श्रीराम ने वनवास के 10 साल व्यतीत किए.
पंचवटी, नासिक
एक समय के जंगल, पंचवटी में कुछ समय के लिए तीनों रहते थे. यहीं पर लक्ष्मण ने रावण की बहन राक्षसी शूर्पणखा की नाक काटी थी. यह हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए भारत में सबसे प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों में से एक है.
लेपाक्षी, आंध्र प्रदेश
माना जाता है कि लेपाक्षी वह स्थान है जहां पवित्र विशाल पक्षी जटायु, जिसने सीता को रावण के चंगुल से बचाने की कोशिश की थी, राक्षस राजा के साथ लड़ाई के बाद बेजान हो गया था. मरने से पहले, उन्होंने राम और लक्ष्मण को घटना बताई और उन्हें लंका की ओर निर्देशित किया.
किष्किंधा, कर्नाटक
अब हम्पी के नाम से जाना जाने वाला यह अत्यधिक लोकप्रिय स्थान माना जाता है कि यह राम और वानर राजा सुग्रीव का मिलन स्थल है, जिन्होंने रावण के साथ युद्ध में राम की मदद की थी.
तुंगभद्रा- तुंगभद्रा के अनेक स्थलों पर श्रीराम अपनी पत्नी सीताजी की खोज में निकले थे.
शबरी आश्रम- रास्ते में श्रीराम पंपा नदी के पास स्थित शबरी आश्रम गए थे. ये कर्नाटक में स्थित है.
ऋष्यमूक पर्वत- सीता की खोज में जब श्रीराम ऋष्यमूक पर्वत की तरफ जब बढ़ रहे थे तभी उनकी मुलाकात हनुमान और सुग्रीव से हुई थी.
कोडीकरई- ये वो जगह है जहां राम की वानर सेना ने रामेश्वर की तरफ कूच किया था.
रामेश्वरम, तमिलनाडु
शायद सभी स्थलों में सबसे प्रसिद्ध, रामेश्वरम वह स्थान है जहां राम की सेना द्वारा भारत और श्रीलंका के बीच प्रसिद्ध पुल का निर्माण किया गया था. लंका के लिए समुद्र पार करने के इस मिशन पर निकलने से पहले, राम ने एक शिवलिंगम स्थापित किया और पूरी भक्ति के साथ इसकी पूजा की.
धनुषकोडी से रामसेतु- श्रीराम रामेश्वर से धनुषकोडी पहुंचे. यहां रामसेतू का निर्माण किया गया था.
नुवारा एलिया पर्वत- श्रीराम रामसेतु बनाकर श्रीलंका पहुंचे थे. श्रीलंका में इस पर्वत पर ही रावण फॉल, रावण गुफाएं, अशोक वाटिका, विभीषण महल आदि स्थित हैं
अशोक वाटिका, श्रीलंका
अशोक वाटिका, जो अब श्रीलंका में पवित्र सीता अम्मन मंदिर के स्थान के रूप में प्रसिद्ध है, यहीं पर रावण ने सीता का अपहरण करने के बाद उसे रखा था. यह जगह नुवारा एलिया नाम के खूबसूरत इलाके में स्थित है. अशोक वाटिका को नष्ट करने के बाद हनुमान के विशाल पदचिन्ह भी मंदिर के पास पाए जाते हैं. रंग-बिरंगे मंदिर में साल भर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं.
तलाईमन्नार, श्रीलंका
रामायण का युद्ध स्थल, यहीं राम ने रावण का वध किया और सीता को बचाया था. इसके बाद, राम के आदेश पर, लक्ष्मण ने रावण के भाई विभीषण को लंका का राजा नियुक्त किया. इसके तुरंत बाद, सीता, राम और लक्ष्मण अपने परिवार से मिलने के लिए अयोध्या के लिए रवाना हुए. आख़िरकार, पुनर्मिलन ने उन उत्सवों को जन्म दिया जिन्हें अब हम दिवाली के रूप में जानते हैं.
(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.)
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14 साल के वनवास के दौरान कहां रुके थे श्रीराम, कहां हुआ था सीता हरण और कहां कटी थी शूर्पणखा की नाक