रक्षाबंधन हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. रक्षा बंधन महोत्सव 2024 19 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा. यह एक ऐसा त्यौहार है जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है. रक्षाबंधन श्रावण माह में सोमवार के दिन पड़ने से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. इस बार श्रावण मास की पूर्णिमा पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधेंगी और उनकी लंबी उम्र की कामना करेंगी. यहां जानिए रक्षाबंधन 2024 के शुभ दिन, पूजा विधि और महत्व के बारे में..

रक्षाबंधन की तिथि यानी श्रावण पूर्णिमा 19 अगस्त को सुबह 3:05 बजे से शुरू होकर रात 11:56 बजे समाप्त होगी. साथ ही इस दिन देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है, क्योंकि इस दिन पूर्णिमा भी होती है, इसलिए इस तिथि को महालक्ष्मी की पूजा से जुड़ा हुआ माना जाता है.

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त 2024

  1.  पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 19 अगस्त 2024 को सुबह 03:04 बजे से
  2.  पूर्णिमा तिथि समाप्त: 19 अगस्त 2024 को रात 11:55 बजे तक
  3.  रक्षाबंधन भद्रा समय: 19 अगस्त 2024 को सुबह 9:51 बजे से 10:53 बजे तक
  4.  रक्षा बंधन भद्रा समापन समय : 19 अगस्त 2024 दोपहर 01:30 बजे तक
  5.  रक्षा बंधन का सबसे समय: 19 अगस्त 2024 दोपहर 01:30 बजे से रात्रि 08:27 बजे तक
  6.  राखी बांधने का उत्तम शुभ समय: 19 अगस्त 2024 दोपहर 01:30 बजे से 03:39 बजे तक
  7.  रक्षा बंधन प्रोदोष काल: 19 अगस्त 2024 को शाम 06:12 बजे से रात 08:27 बजे तक.

रक्षाबंधन पूजा विधि

- रक्षाबंधन के दिन भाई-बहनों को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए, साफ कपड़े पहनने चाहिए और सूर्य देव को जल चढ़ाना चाहिए.
- गृह देवता के कक्ष या पास के किसी मंदिर में जाएं और प्रार्थना करें.
- भगवान की पूजा करने के बाद राखी बांधने के लिए सामग्री लें.
- इसके बाद मुख्य रूप से चांदी, पीतल, तांबा या स्टील से बनी कोई भी साफ थाली लें और उस पर साफ कपड़ा बिछा लें.
- उस थाली में कलश, नारियल, सुपारी, कलावा दारा, कुमकुम, चंदन, अक्षत, दही, राखी और मिठाई रखें. घी का दीपक जलाएं. सबसे पहले इस थाली को घर में या भगवान के कक्ष में भगवान को अर्पित करें.
- सबसे पहले एक राखी भगवान कृष्ण को और एक राखी गणेश जी को अर्पित करें. उपरोक्त शुभ मुहूर्त देखकर भगवान को राखी बांधें और अपने भाई को पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठने के लिए कहें.
- इसके बाद भाई को तिलक लगाएं, फिर राखी यानी रक्षा सूत्र बांधें.
- फिर उनकी आरती करें. मीठा नाश्ता करें.
राखी बांधते समय भाई-बहन को अपना सिर कपड़े से ढक लेना चाहिए.
- रक्षा सूत्र बांधने के बाद माता-पिता या घर के बड़ों से आशीर्वाद लें.

रक्षाबंधन की कहानी

एक बार देवताओं और असुरों के बीच बारह वर्षों तक युद्ध चला. इसमें देवता हार गये और असुरों ने स्वर्ग पर कब्ज़ा कर लिया. हार से निराश होकर इंद्र अपने गुरु बृहस्पति के पास गए और उनसे कहा कि युद्ध करना जरूरी है, लेकिन अब तक हमें युद्ध में हार का सामना करना पड़ा है. यह सब इन्द्र की पत्नी इन्द्राणी भी सुन रही थी. कल श्रावण शुक्ल पूर्णिमा है, मैं विधिपूर्वक रक्षा सूत्र तैयार करूंगी, जिसकी व्यवस्था ब्राह्मण करेंगे. उन्होंने कहा कि इससे तुम्हें अवश्य विजय मिलेगी. दूसरे दिन इंद्र ने रक्षा-विधान के साथ रक्षाबंधन मनाया. इसके बाद जब इंद्र ऐरावत हाथी पर सवार होकर युद्धभूमि में पहुंचे तो राक्षस अत्यंत भयभीत होकर भाग गए. इस प्रकार रक्षा पद्धति के प्रभाव से इन्द्र विजयी हुए और तभी से यह त्यौहार मनाया जाने लगा.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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When should we tie Rakhi? Know the most auspicious time to tie Rakhi, Puja Vidhi, Raksha Bandhan Story
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आज राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त क्या है?
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राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त क्या है?
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राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त क्या है?

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आज राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त क्या है? जानें किस विधि से भाई को बांधें रक्षासूत्र

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