हिंदू धर्म में फाल्गुन महीने की अमावस्या को बहुत खास माना जाता है. फाल्गुन अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान के बाद दान देने की परंपरा है. ऐसा माना जाता है कि इससे पापों का नाश होता है. धर्म शास्त्रों के अनुसार अमावस्या के दिन पितर धरती पर आते हैं और यदि उनके लिए तर्पण, श्राद्ध आदि किया जाए तो वे प्रसन्न होते हैं. आइए जानते हैं इस वर्ष फाल्गुन अमावस्या कब है, तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.
फाल्गुन अमावस्या 2025 -
पंचांग के अनुसार इस वर्ष फाल्गुन अमावस्या 27 फरवरी को प्रातः 08:54 बजे प्रारंभ हो रही है, यह तिथि अगले दिन यानि 28 फरवरी को प्रातः 06:14 बजे तक मान्य रहेगी. ऐसे में कई लोग असमंजस में हैं कि अमावस्या पूजा अनुष्ठान और स्नान-दान कब करें. अमावस्या की तिथि की गणना सूर्योदय के आधार पर की जाती है. इसलिए फाल्गुन अमावस्या का अनुष्ठान 27 फरवरी को करना उचित रहेगा. 27 फरवरी के अलावा 28 फरवरी को सुबह 06:15 बजे तक स्नान-दान के लिए समय अच्छा है.
पूर्वजों को तर्पण -
सनातन धर्म में ब्रह्म मुहूर्त को स्नान और दान के लिए सर्वोत्तम समय माना जाता है. इस बार फाल्गुन अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05:08 से 05:58 तक लगभग 50 मिनट का है. इस दौरान पवित्र नदी में स्नान करना शुभ रहेगा. तर्पण के लिए सबसे अच्छा समय अमावस्या तिथि के प्रारंभ से लेकर सुबह 08:54 बजे के बाद से 11 बजे तक का है. कुश घास, जल, काले तिल और सफेद फूलों से पितरों को तर्पण किया जाता है.
हिंदू धर्म में फाल्गुन महीने की अमावस्या को बहुत खास माना जाता है. फाल्गुन अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान के बाद दान देने की परंपरा है. ऐसा माना जाता है कि इससे पापों का नाश होता है. धर्म शास्त्रों के अनुसार अमावस्या के दिन पितर धरती पर आते हैं और यदि उनके लिए तर्पण, श्राद्ध आदि किया जाए तो वे प्रसन्न होते हैं. आइए जानते हैं इस वर्ष फाल्गुन अमावस्या कब है, तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.
अमावस्या पर तर्पण और श्राद्ध -
अमावस्या के दिन अपने पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध अनुष्ठान करने से आपको अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. पूर्वजों की कृपा से हमें संतान सुख, धन, समृद्धि, सुख, शांति और खुशहाली मिलती है. जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष है, उन्हें अमावस्या के दिन पवित्र स्नान, दान और तर्पण करना चाहिए.
अमावस्या के दिन अपने पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध अनुष्ठान करने से आपको अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. पूर्वजों की कृपा से हमें संतान सुख, धन, समृद्धि, सुख, शांति और खुशहाली मिलती है. जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष है, उन्हें अमावस्या के दिन पवित्र स्नान, दान और तर्पण करना चाहिए.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी सामान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
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Falgun Amavasya
अमावस्या कब है, 27 या 28 फरवरी? स्नान, श्राद्ध और तर्पण के लिए शुभ मुहूर्त