हिंदू धर्म में बच्चे के जन्म के कुछ समय बाद मुंडन किया जाता है. इसे मुंडन मनुस्मृति संस्कार भी कहा जाता है. यह एक पवित्र हिंदू अनुष्ठान है. यह बच्चे के जन्म के बाद किया जाता है. इसमें पारंपरिक तरीके से बच्चे के जन्म के 1, 3, 5 या 8 वर्ष की उम्र के बाद सिर के सारे बाल हटा दिये जाते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के पिछले जन्म के सभी पाप खत्म हो जाते हैं. वह नये जीवन में पूरी तरह से प्रवेश करता है. आइए जानते हैं मुंडन की विधि से लेकर इसका महत्व और किस दिन करना होता है यह शुभ...
इस दिन मुंडन करना होता हे शुभ
ज्योतिष के अनुसार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार के दिन मुंडन संस्कार करना बेहद शुभ होता है. वहीं आषाढ़, माघ और फाल्गुन महीने में भी मुंडन कराना सबसे शुभ होता है. मान्यता है कि मुंडन कराने से पुराने जन्म के सभी पाप खत्म होने के साथ ही शरीर में मौजूद सारी नकारात्मकता खत्म हो जाती हे. इसके बाद व्यक्ति के साथ किसी भी तरह की अशुभ घटना नहीं होती.
यह है मुंडन संस्कार की विधि
हिंदू धर्म में मुंडन संस्कार का बड़ा महत्व है. इसे अक्सर लोग किसी भी धार्मिंक जगह यानी मंदिर या देवताओं के स्थल पर करते हैं. वहीं कुछ लोग घर के आंगन में तुलसी के पास खाली जगह पर मुंडन संस्कार करते हैं. इस दौरान हवन जरूर कराना चाहिए. इसके साथ ही छोटे बच्चे को मां की गोद से बिठाया जाता है. उसका मुंह पश्चिम दिशा की तरफ रखा जाता है. धीरे-धीरे बच्चे के बाल उतार लिए जाते है और उसके बाद सिर को गंगाजल से धोया जाता है.इसके बाद बालों को गाय के गोबर या आटे के गोले में बांधकर जमीन में गाड़ दिया जाता है. इसके बाद इसे जलाशय में विसर्जित किया जाता है. इसके बाद बच्चे का स्नान कराये.
मुंडन कराने से बच्चे के जीवन में होता है फायदा
मान्यता है कि बच्चे का छोटी उम्र में ही मुंडन करा देना चाहिए. इससे बच्चे के जीवन भर में आने वाली परेशानी और संकट नष्ट हो जाते हैं. बच्चे को सर्दी खांसी, जुकान से लेकर थकान और बालों के झड़ने जैसी दिक्कत नहीं आती.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी सामान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
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बच्चे का मुंडन कराने के लिए कौन सा दिन होता है सबसे शुभ, जानें इसकी विधि से लेकर जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव