डीएनए हिंदी: पूजा-पाठ करते हुए कितना ध्यान रखा जाता है, साफ-सफाई से लेकर प्रसाद और चरणामृत हर चीज का खास खयाल रखा जाता है. पूजा या व्रत के दिन तो लोग भूलकर भी शराब या मांस को हाथ तक नहीं लगाते. जी हां ये सब सच है लेकिन अगर आपको बताएं कि शिव जी के एक मंदिर में नॉन वेज का भोग लगाया जाता है तो आप यकीन करेंगे?
महादेव के इस मंदिर में चिकन, मटन और मछली को प्रसाद के तौर पर चढ़ाया जाता है. मंदिर में यह सब किसी खास मौके पर नहीं, बल्कि रोजाना होता है. चलिए जानते हैं कि भगवान शिव का ऐसा अद्भुत मंदिर कहां है और यहां नॉनवेज का भोग लगाने के पीछे की असली वजह क्या है.
क्यों लगाया जाता है नॉनवेज का भोग
काशी के बटुक भैरव मंदिर में शिव की बटुक रूप में पूजा होती है. भगवान के इस रूप को प्रसन्न करने के लिए भक्त नॉनवेज और शराब चढ़ाते हैं. इसके अलावा बटुक भैरव को बिस्किट्स और टॉफियां भी भोग लगाई जाती हैं. मान्यता है कि बटुक भैरव को इन चीजों का भोग लगाने से मनोकामना पूरी होती है.
होती है तीनों रूपों की पूजा
इस मंदिर में शिव सात्विक, राजसी और तामसिक तीनों रूपों विराजमान हैं. यहां सर्दियों में बाबा के तीनों रूपों का विशेष श्रृंगार किया जाता है. सुबह के समय शिव स्वरूप बाल बटुक को टॉफी, बिस्किट का भोग लगाया जाता है. दोपहर के वक्त राजसिक रूप में शिव को रोटी, दाल, चावल और सब्जी आदि का भोग लगाया जाता है. इलके बाद शाम के समय आरती के बाद भैरव स्वरुप शिव को मछली, मटन, चिकन के साथ-साथ मदिरा भी भोग लगाया जाता है. इतना ही नहीं बाबा को प्रसन्न करने के लिए शराब से भरा खप्पड़ भी चढ़ाया जाता है.
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