डीएनए हिंदी: हिंदू कैलेंडर में वैशाख का महीना वर्ष का दूसरा माह होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वैशाख माह से ही त्रेता युग का आरंभ हुआ था. यही वजह है कि वैशाख अमावस्या (Vaishakh Amavasya 2023) का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है. वैशाख अमावस्या के दिन धर्म-कर्म, स्नान-दान (Vaishakh Amavasya Pind Daan) और पितरों का तर्पण करना बहुत ही शुभ माना जाता है. कहा जाता है इस दिन पितरों को तर्पण देने से उन्हें संतुष्टि मिलती है, और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. 

इसके अलावा इस दिन पितरों को तर्पण आदि (Vaishakh Amavasya Pind Daan) अर्पित करने से पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है, आज हम आपको बताने वाले हैं कि वैशाख अमावस्या पर पिंडदान क्यों किया जाता है और इसका महत्व क्या है... 

पितरों को प्रसन्न करने के लिए किए जाते हैं कई उपाय 

इस बार 20 अप्रैल को वैशाख अमावस्या पड़ रहा है. इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय भी किए जाते हैं. जिससे पितरों का आशीर्वाद बना रहता है, तो आइए जानते हैं कि इस दिन पिंडदान करने की परंपरा कैसे शुरू हुई.

यह भी पढ़ें - Guruwar Upay: भाग्य को कोसने की बजाय गुरुवार को कर लें ये उपाय, किस्मत चमकते नहीं लगेगी देर, मिलेगी सुख-समृद्धि

वैशाख अमावस्या पर किए जाने वाले कार्य  

प्रत्येक अमावस्या पर लोग पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए व्रत रखते हैं और नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करते हैं. इसके साथ ही इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देकर बहते हुए जल में तिल प्रवाहित कर पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करते हैं और गरीबों को दान-दक्षिणा देते हैं. इस दिन पीपल के पेड़ पर सुबह जल चढ़ाना व शाम के समय दीपक जरूर जलाएं.

वैशाख अमावस्या की पौराणिक कथा

प्राचीन काल में धर्मवर्ण नाम का एक ब्राह्मण थे जो बहुत ही धार्मिक और ऋषि-मुनियों का आदर करते थे. ऐसे में एक बार उन्होंने किसी महात्मा के मुख से भगवान विष्णु की महिमा के बारे में सुना. तब उन्हें ज्ञात हुआ कि विष्णु के नाम स्मरण से ज्यादा पुण्य किसी भी कार्य में नहीं है. इसलिए धर्मवर्ण ने इस बात को आत्मसात कर लिया और सांसारिक जीवन छोड़कर संन्यास ले लिया. 

यह भी पढ़ें - Vastu Dosh Upay: वास्तु अनुसार गलत दिशा में है घर के किचन और बाथरूम, बिना तोड़-फोड़ ऐसे दूर करें दोष

एक दिन भ्रमण करते-करते धर्मवर्ण पितृलोक पहुंच गए. वहां उन्होंने पितरों बहुत कष्ट में देखा. धर्मवर्ण ने इसका कारण पूछा तो पितरों ने उन्हें बताया कि उनकी ऐसी हालत तुम्हारे संन्यास के कारण हुई है. क्योंकि अब उनके लिये पिंडदान करने वाला कोई भी नहीं है. पितरों ने आगे कहा कि तुम वापस जाकर गृहस्थ जीवन की शुरुआत करो और  संतान उत्पन्न करो और वैशाख अमावस्या के दिन विधि-विधान से पिंडदान करो तभी हमें कष्टों से छुटकारा मिलेगा. 

धर्मवर्ण ने पितरों को वचन दिया कि वह उनकी बात मानेंगे और अपना वचन पूरा करेंगे. इसके बाद धर्मवर्ण ने संन्यासी जीवन छोड़ दिया और फिर से सांसारिक जीवन को अपनाया और वैशाख अमावस्या पर विधि विधान से पिंडदान कर अपने पितरों को मुक्ति दिलाई.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

 

Url Title
vaishakh amavasya 2023 snaan pind daan mythological significance katha know tarpan Upay and its importance
Short Title
वैशाख माह में पिंडदान करने की कैसे शुरू हुई परंपरा? पढ़ें यह पौराणिक कथा
Article Type
Language
Hindi
Section Hindi
Created by
Updated by
Published by
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Pind Daan In Vaishakh Amavasya
Caption

वैशाख माह में पिंडदान करने की कैसे शुरू हुई परंपरा? पढ़ें यह पौराणिक कथा

Date updated
Date published
Home Title

वैशाख माह में पिंडदान करने की कैसे शुरू हुई परंपरा? जानिए इस दिन तर्पण व स्नान-दान करने का महत्व