डीएनए हिंदीः तुलसी के पौधे को धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इसका धार्मिक ही नहीं बल्कि औषधीय गुण भी होता है. तुलसी की पूजा (Tulsi Puja Niyam) से मां लक्ष्मी (Maa Laxmi) का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं. इसी वजह से लगभग सभी घर-आंगन में तुलसी का पौधा (Tulsi Ka Paudha) लगा होता है. तुलसी के पौधे की सही नियमों (Tulsi Puja Niyam) से पूजा की जाए तो जीवन में दुखों का सामना नहीं करना पड़ता है. ऐसे में तुलसी पूजन के लिए सही नियमों (Tulsi Puja Niyam) का पालन करना बहुत ही जरूरी होता है. चलिए आपको तुलसी पूजा के इन खास नियमों (Tulsi Puja Niyam) के बारे में बताते हैं.
तुलसी पूजा के नियम (Tulsi Puja Niyam)
- तुलसी के पौधे को जल चढ़ाने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. लेकिन तुलसी को जल देने के लिए कई नियम बताएं गए हैं. दरअसल, रविवार और एकादशी के दिन तुलसी का व्रत होता है इन दो दिनों तुलसी को जल चढ़ाने से व्रत खंडित हो जाता है. ऐसे में इन दिनों तुलसी को जल चढ़ाना वर्जित माना गया है.
- तुलसी के पौधे में मां लक्ष्मी का वास होता है. तुलसी को जल अर्पित करने से पहले आपको किसी भी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए. सूर्योदय में स्नान के बाद ही तुलसी को जल अर्पित करना चाहिए.
- तुलसी के पौधे तो जल अर्पित करते समय "महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते" इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए.
- तुलसी के पौधे का धार्मिक के साथ औषधीय महत्व भी होता है. ऐसे में इसके पत्तों का इस्तेमाल कई चीजों के लिए किया जाता है. हालांकि आपको तुलसी के पत्तों को तोड़ने से पहले हाथ जोड़कर अनुमति लेनी चाहिए. भूलकर भी कैंची, चाकू और नाखून से तुलसी के पत्ते न तोड़े ऐसा करना अशुभ माना जाता है.
- तुलसी की पूजा करते समय महिलाओं को अपने बालों को खुला नहीं रखना चाहिए. अन्य अनुष्ठान में पूजा की तरह तुलसी पूजा में भी बालों को बांधकर ही रखें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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