डीएनए हिंदीः तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) से एक दिन पूर्व को प्रबोधिनी एकादशी (Prabodhani Ekadashi) या देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi) होती है और इस दिन से मांगलिक कार्य प्रारंभ होते हैं. लेकिन इस बार शुक्र अस्त के कारण मांगलिक कार्य 21 नवंबर के बाद से होंगे. 

तुलसी हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र और पूजनीय मानी गई हैं. असल में तुलसी देवी लक्ष्मी (Devi Kakshmi) का ही रूप हैं. तो चलिए जानें तुलसी कैसे वृंदा से तुलसी बनी और और भगवान विष्णु के अवतार शलिग्राम से उनका विवाह हुआ. इस बार तुलसी विवाह किस दिन है और पूजा विधि क्या है. 

यह भी पढ़ें: सुख-सौभाग्य और अखंड सुहाग के लिए रोज पढ़ें तुलसी आरती 

तुलसी की पूजा और उनका विवाह करने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं तुलसी विवाह की तिथिए मुहूर्तए महत्व और पूजा विधि.

तुलसी विवाह 2022 का शुभ मुहूर्त
तुलसी विवाह 2022 शनिवार 5 नवंबर 2022
कार्तिक द्वादशी तिथि आरंभ 5 नवंबर 2022 शनिवार सायं 6ः08 बजे
द्वादशी तिथि समाप्त 6 नवंबर 2022  रविवार सायं 5ः06 बजे
तुलसी विवाह पारण मुहूर्त 6 नवंबर को रविवार  दोपहर 1ः09 से 03ः18 तक
 
तुलसी विवाह का महत्व 
मां तुलसी और भगवान शालिग्राम की पूजा विवाहिक जीवन में सुख, समृद्धि लाती है और जिसके विवाह में देरी होती है या बाधांए आती हैं उसका भी निराकरण होता है. घर परिवार में सुख शांति का वास होता है और शत्रुओं से रक्षा होती है. 

यह भी पढ़ें: दिवाली केवल श्रीराम के अयोध्या लौटने के कारण ही नहीं, इन 4 वजहों से भी है खास

तुलसी विवाह की पूजा विधि  
चौकी पर तुलसी का पौधे का गमला रखें और भगवान शालिग्राम को भी उसी चौकी पर आसन देकर स्थापित करें. गमले के चारों ओर गन्ने और केले के पत्तों का मंडप बनाएं. फिर कलश स्थापित में शुद्ध जल या गंगाजल भर लें. इसके बाद स्वास्तिक बनांए. तुलसी को शालीग्राम के दाहिनी ओर स्थापित करें.  

इसके बाद तुलसी को 16 श्रंगार करे और सुहाग की सारी चीजें चढांएं. तुलसी को लाल चुनरी ओढ़ा दें. फिर दोनों पर धूपबत्ती-दीया जलाएं और ऊं तुलसाय नम मंत्र का जाप करें. फिर हाथों में श्रद्धा के साथ शालीग्राम की चौकी लेकर तुलसी की 7 बार परिक्रमा करें. इसके बाद तुलसी को शालीग्राम के बाईं ओर स्थापित कर दें. फिर दोनों की आरती उतारें. इसके तुलसी जी की आरती करें. 

तुलसी विवाह की कथा
पूर्व जन्म में तुलसी माता का वृंदा (Vrinda) थीं. उनका जन्म राक्षस कूल में हुआ था. राक्षस कूल में जन्म लेने के बाद भी वृंदा भगवान विष्णु की परम भक्त थी. बड़े होने के बाद वृंदा की शादी जालंधर नामक असुर से हो गई. वृंदा भगवान विष्णु के भक्त होने के साथ-साथ एक पतिव्रता स्त्री भी थी. वृंदा की भक्ति के कारण जालंधर हर लड़ाई में हमेशा विजय प्राप्त करता था. इस कारण उसे अपनी शक्ति पर बहुत घमंड हो गया. अधिक घमंड होने के कारण एक बार उसने स्वर्ग पर आक्रमण कर सभी देवकन्याओं को अपने अधिकार में कर लिया. जालंधर के ऐसा करने से सभी देवता बेहद क्रोधित हुए और वह तुरंत भगवान विष्णु की शरण में जाकर जालंधर को खत्म करने की प्रार्थना करने लगें.

 भक्ति भंग किए बिना मारना असंभव
भगवान विष्णु जानते थे कि उसकी पत्नी वृंदा उनकी परम भक्त है. यदि वृंदा की भक्ति भंग नहीं की जाएगी तो उसे मारना असंभव है. यह सोचकर भगवान विष्णु ने अपनी माया से जालंधर का रूप धारण कर वृंदा के पतिव्रता होने को नष्ट कर दिया. इसी कारण से जालंधर की सारी शक्तियां क्षणभर में नष्ट हो गई और वह युद्ध में मारा गया. लेकिन जब वृंदा को भगवान श्री हरि के छल का पता चला, तो वृंदा ने भगवान विष्णु से कहा आपने मेरे साथ इतना बड़ा धोखा क्यों किया.
 
वृंदा ने दिया श्राप
यह सुनकर भगवान श्रीहरि चुप रह गए. तब वृंदा ने भगवान विष्णु को श्राप दे दिया कि आप हमेशा पत्थर के स्वरुप बनकर रह जाएंगे. तभी भगवान विष्णु का पूरा शरीर पत्थर के समान होने लगा और सृष्टि का संतुलन बिगड़ने लगा. यह देखकर देवताओं ने वृंदा माता से प्रार्थना कि वे अपना श्राप वापस ले लें. भगवान विष्णु को लज्जित देखकर वृंदा माता ने अपना श्राप वापस कर लिया और अपने पति जालंधर के साथ सती हो गई.

यह भी पढ़ें: कहीं गाय पूजा तो कहीं होता है भूत चतुर्दशी अनुष्ठान, इन शहरों की दिवाली है खास  
 
राख से निकला पौधा
वृंदा माता की राख से एक पौधा निकला जिसे भगवान विष्णु ने तुलसी का नाम दिया और उसे वरदान दिया कि तुलसी के बिना मैं किसी भी प्रसाद को ग्रहण नहीं करूंगा. मेरा विवाह शालिग्राम रूप से तुलसी के साथ होगा और कालांतर इस तिथि को लोग तुलसी विवाह के नाम से जानेंगे. इसका व्रत करने से लोगों को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होगी. तभी से तुलसी विवाह पूरे संसार में विख्यात हो गई.
 
 (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर 
 

Url Title
today Evening 5 november Tulsi Vivah puja vidhi muhurat shaligram shadi kanyadan baraber punya ka labh
Short Title
आज तुलसी विवाह करने से कन्यादान बराबर मिलता है पुण्य, ये है शुभ मुहूर्त, महत्व
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
आज तुलसी विवाह, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि
Caption

आज तुलसी विवाह, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

Date updated
Date published
Home Title

आज शाम तुलसी विवाह करने से कन्यादान बराबर मिलता है पुण्य, ये है शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि