डीएनए हिंदी: दिवाली का त्योहार जा चुका है. इसके अगले ही दिन कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि पड़ती है. इस बार यह सोमवार को होने वजह से विशेष हैं. पंचांग के अनुसार, हर माह एक अमावस्या है, लेकिन इन सभी अमावस्याओं में सोमवती अमावस्या का महत्व सबसे ज्यादा होता है. इस बार अमवास्या दिवाली के अगले ही दिन यानी 13 नवंबर दिन सोमवार को है. पुराणों की मानें तो इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है. इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण भी किया जा सकता है. अमावस्या पर गंगा जी में स्नान करने पर सभी पाप और कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. नदी में स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देकर पितरों का तर्पण करने से लाभ प्राप्त होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के लिए व्रत रखती हैं. आइए जानते हैं इस अमावस्या का महत्व पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
इस समय है शुभ मुहूर्त
इस बार का कार्तिक माह में कृष्ण अमावस्या तिथि की शुरुआत 12 नवंबर को 2 बजकर 44 मिनट पर हुई है. यह अगले दिन यानी 13 नवंबर को 2 बजकर 56 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार अमवास्या सोमवार यानी आज मनाई जाएगी. सोमवती अमावस्या का बड़ा महत्व होता है. सोमवार को स्नानदान करने का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 20 मिनट से 8 बजकर 36 मिनट तक रहेगा.
बहुत बड़ा है सोमवती अमावस्या का महत्व
13 नवंबर सोमवार की सोमवती अमावस्या इस साल की आखिरी अमावस्या है. इसका बहुत ही विशेष महत्व होता है. इस दिन पितरों को तर्पण करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसके अलावा पाप और कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त होती है. इस दिन गंगा जी में स्नान करने का बड़ा लाभ मिलता है. साथ ही सूर्य को जल देने मात्र से ही जीवन की दुख और बाधाएं खत्म हो जाती है. इस दिन माता लक्ष्मी जी की पूजा करना भी शुभ होता है.
सोमवती अमावस्या पर यह है पूजा विधि
सोमवती अमावस्या पर सुबह उठनकर स्नान करें. हालांकि इस दिन गंगा जी में स्नान करने का महत्व बहुत अधिक होता है. अगर आप गंगा जी नहीं जा पा रहे हैं तो नहाने की बाल्टी में थोड़ा जल डालकर स्नान कर लें. इसके बाद मंदिर में दीपक जलाएं. सूर्य देव जल दें. इस दिन व्रत रखना भी बहुत ही लाभदायक होता है. इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. भगवान की कृपा प्राप्त होती है. इसके अलावा पितरों संबंधि जो भी कार्य करेंगे. इससे उन्हें खुशी प्राप्त होगी. भगवान विष्णु जी का ध्यान करें. उनके मंत्रों का जाप करने से भी सारे काम बनते चले जाते हैं.
पीपल के पेड़ की परिक्रमा
अगर आप किसी शारीरिक मानसिक या घर में चल रहे किसी क्लेश से परेशान हैं तो सोमवती अमावस्या पर मौन स्नान करें. इसके बाद पीपल के पेड़ की मौन रहकर 108 बार परिक्रमा दें. भगवान विष्णु और भोलेनाथ के नाम का जप करें. ऐसा करने मात्र से ही आपकी बीमारी से लेकर जीवन में चल रही सभी बाधाएं नष्ट हो जाती है. जीवन में सुख और समृद्धि का वास होता है. सभी काम बनते चले जाते हैं.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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आज है साल की आखिरी सोमवती अमावस्या, जानें महत्व, पूजा विधि, स्नान और परिक्रमा का शुभ मुहूर्त