डीएनए हिंदीः भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है. इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से सभी तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं. सोमवार के दिन प्रदोष व्रत करने से संतान रत्न की प्राप्ति होती है, वहीं मंगलवार के दिन, प्रदोष व्रत करने से कर्ज से छुटकारा मिल जाता है. वार के अनुसार प्रदोष व्रत का लाभ मिलता है.
सोमवार को जब त्रयोदशी तिथि लगती है तो इसे सोम प्रदोष व्रत कहते हैं. सोमवार को लगने वाले प्रदोष व्रत का धार्मिक दृष्टि से बड़ा ही महत्व है. सोम प्रदोष व्रत करने कुंडली में चंद्रमा की स्थिति भी मजबूत होती है. अप्रैल महीने में ऐसा संयोग बना है कि इस महीने में दो सोम प्रदोष व्रत का संयोग बना है.
3 अप्रैल को सोमवार को त्रयोदशी तिथि सुबह 6 बजकर 25 मिनट से लग रही है. इसलिए इसी दिन सोम प्रदोष व्रत किया जाएगा. इस दिन शिवजी को प्रसन्न करने के लिए सोम प्रदोष व्रत कथा का पाठ करने के साथ ही शिवजी को सफेद फूल, बेलपत्र, भांग और अक्षत अर्पित कर जलाभिषेक करना चाहिए.
शाम को इस समय कर करें पूजा
त्रयोदशी तिथि में पूजा का मुहूर्त शाम में सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और 45 मिनट बाद का होता है. इसी समय को प्रदोष काल कहते हैं. इस काल में मनुष्य को संध्या वंदना और ध्यान पूजन करना चाहिए. इससे सूर्य ग्रह भी अनुकूल होते हैं.
सोम प्रदोष का मुहूर्त 3 अप्रैल
त्रयोदशी तिथि का आरंभ 3 अप्रैल सुबह 6 बजकर 25 मिनट
त्रयोदशी तिथि का समापन 4 अप्रैल सुबह 8 बजकर 6 मिनट
सोम प्रदोष पूजा मुहूर्त
3 अप्रैल शाम 5 बजकर 55 मिनट से 7 बजकर 30 मिनट
वहीं,अप्रैल में दूसरा सोम प्रदोष व्रत 17 अप्रैल को किया जाएगा. इस दिन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि होगी. इस दिन दोपहर 3 बजकर 47 मिनट से त्रयोदशी तिथि लगेगी और प्रदोष व्रत का पूजन शाम 5 बजकर 57 मिनट से 7 बजकर 32 मिनट तक किया जा सकेगा.
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