डीएनए हिंदी: पूजा-पाठ में कई तरह के धातुओं के बर्तन का इस्तेमाल किया जाता है. लोग भगवान को प्रसन्न करने के लिए महंगे-महंगे सोने-चांदी के बर्तन लेकर आते हैं लेकिन सभी धातुओं को अपना अलग महत्व होता है. आप कितने भी पैसे खर्च कर लें मिट्टी के कलश का महत्व कम नहीं कर सकते. इसी तरह सोने और चांदी का भी अपनी जगह अलग महत्व होता है. पूजा के मामले में किसी धातु के बर्तन का इस्तेमाल करने से पहले जरा ध्यान रखें.
पूजा के लिए बेस्ट है तांबे का बर्तन (Copper Utensils is Auspicious for Worship)
ऐसी मान्यता है कि तांबे के बर्तन में भोग लगाने से भगवान इसे स्वीकार करते हैं. यही वजह है कि पूजा में तांबें के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा ताबें के लोटे से सूर्य देव को जल चढ़ाना भी शुभ होता है. पूजा-पाठ में लोहे के बर्तनों इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. लोहे के बर्तन जंग लगने के कारण खराब हो जाते हैं. धर्म शास्त्र के मुताबिक पूजा-पाठ के बर्तन शुद्ध होने चाहिए.
चांदी के बर्तनों से नहीं करना चाहिए अभिषेक (Abhishek with Silver Utensils is Prohibited)
शास्त्रों में चांदी के बर्तन, दूध से अभिषेक के लिए मना हैं. इसके अलावा मान्यता है कि चांदी की बर्तन पितरों को प्रिय है. ऐसे में देवताओं के काम में इसका इस्तेमाल करना अशुभ है.
पूजा में न करें इन धातुओं का इस्तेमाल
शास्त्रों के मुताबिक शनिदेव की पूजा में तांबे के बर्तनों का जगह लोहे के बर्तन का ही इस्तेमाल करना चाहिए. वहीं पूजा के दौरान लोहा, स्टील और एल्युमीनियम की धातु के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
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