डीएनए हिंदी: Shani Dosh Upay Shani ki Sadhe Sati Aur Dhaiya- प्रदोष व्रत प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है, ऐसे में इस बार प्रदोष व्रत 6 नवंबर दिन शनिवार को पड़ रहा है. शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत जब शनिवार के दिन पड़ता है तो उसे शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) के नाम से जाना जाता है. इस बार शनि प्रदोष व्रत पर रवि नामक शुभ योग भी (Shubh Yog) बन रहा है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh 2022 Upay) के दिन शनिदेव से संबंधित उपाय भी करने चाहिए इससे शनि दोष कम होता है. इसके अलावा जिन लोगों पर शनि की साढे़साती और ढय्या का असर हो, उन्हें इस मौके पर ये उपाय जरूर करने चाहिए. चलिए जानते हैं इस समय कितनी राशियां पर शनि का प्रभाव है और क्या है इसके उपाय.
इन 5 राशियों पर है शनि का प्रभाव (Shani Ki Sadhe Sati Aour Dhaiya)
वर्तमान में शनि मकर राशि में मार्गी अवस्था में है इसलिए शनि के मकर राशि में होने से धनु, मकर और कुंभ पर साढ़ेसाती का प्रभाव है इसके अलावा मिथुन व तुला राशि पर शनि की ढय्या का असर है. ऐसे में इस समय शनिदेव इन 5 राशि वाले जातकों को सीधे तौर पर प्रभावित कर रहे हैं. इन राशि के जातकों को शनि प्रदोष पर इन उपायों को जरूर करना चाहिए. इससे शनि के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है.
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इन मंत्रों का करें जाप (Mantra)
शनि प्रदोष व्रत के दौरान बन रहे शुभ योग में घर में शनि देव की पूजा करें और उनके इन नामों का जाप करें.
नाम- कोणस्थ, पिंगल, बभ्रु, कृष्ण, रौद्रान्तक, यम, सौरि, शनैश्चर, मन्द, पिप्पलाश्रय
इसके अलावा इस मंत्र का भी करें जाप
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
ॐ शं शनैश्चराय नमः
ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
शनि देव की करें पूजा
शनि प्रदोष व्रत पर विधि-विधान से शनिदेव की पूजा करें. सरसों के तेल से शनिदेव का अभिषेक करें साथ ही सरसों के तेल का दीपक जलाएं और शनिदेव को तिल, काली उड़द, नीला फूल चढ़ाएं. इसके अलावा संभव हो तो इस दिन उपवास रखें और शाम को शनिदेव को खिचड़ी का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में इसका सेवन करें.
शनि चालीसा का करें पाठ
शनि प्रदोष के शुभ योग में शनि चालीसा का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन सुबह स्नान करने के बाद शनिदेव के चित्र के सामने बैठकर या शनि मंदिर में शनि चालीसा का पाठ करें. शनि चालीसा का पाठ शुरू करने से पहले सरसों के तेल का दीपक जरूर जलाएं इससे शनि देव की कृपा प्राप्त होगी.
नीलम रत्न करें धारण
शनिदेव की कृपा बनाए रखने के लिए नीलम रत्न पहनने की सलाह दी जाती है. यह रत्न धारण करने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह जरूर लें. इसके अलावा किसी भरोसेमंद व्यक्ति से ही यह रत्न खरीदें और नियमानुसार इसकी अंगूठी बनाकर अपनी मध्यमा अंगुली में धारण करें.
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कुष्ठ रोगियों की करें सेवा
कुष्ठ रोगियों की सेवा करने से और उन्हें दान-दक्षिणा देने स्व शनिदेव प्रसन्न होते हैं. ऐसे में इस दिन कुष्ठ रोगियों को काले कंबल, जूते-चप्पल, कपड़ों आदि का दान करें. इसके अलावा संभव हो तो सरसों के तेल से पका भोजन जैसे भजिए-पुरी आदि का भी दान करें. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कुष्ठ रोगियों को प्रसन्न कर आप शनिदेव की कृपा आसानी से प्राप्त कर सकते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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Shani Dosh Upay: इन 5 राशियों पर है शनि का प्रभाव, शनि प्रदोष व्रत पर के लें ये उपाय