डीएनए हिंदी: सावन का महीना शिवजी का सबसे प्रिय महीना होता है. इस महीने में भगवान शिव के साथ शिव परिवार की पूजा का भी विधान होता है.  'श्रावणे पूजयेत शिवम्' यानी सावन में शिव की पूजा अमोघ पुण्‍य की प्राप्‍त‍ि कराती है. इस माह में भगवान शंकर ने हिमाचल की पुत्री पार्वती को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. तो चलिए भगवान शिव की पूजा सावन के पहले सोमवार के दिन किस व‍िधि से करें और किन मंत्रों से उनका अभिषेक करें, जानें. 
 सावन का पहला सोमवार 2022 पूजा विधि और मंत्र
सावन में घर में पार्थिवेश्वर या नर्मदेश्वर के लिंग पर पूजा करनी चाहिए. मंदिर में भगवान शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और नंदी सहित शिवपंचायत की पूजा करने का विधान है. पूजा के दौरान गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक उत्‍तम होता है.

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 शुभ योग के साथ पहला सोमवार
सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को है और इस दिन रवि योग भी है. इस योग में मनोकामना सिद्धि के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप और शिव पुराण का पाठ करना कई समस्‍याओं से आपको बचा सकता है. साथ ही रवि योग में शिव परिवार की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और दांपत्‍य जीवन में सुख आता है. शुभ योग में सावन के पहले सोमवार के दिन भगवान शिव को कच्चा दूध, गंगाजल, बेलपत्र, काले तिल, धतूरा, बेलपत्र, मिठाई आदि अर्पित करना चाहिए और विधिवत पूजा करनी चाहिए.
 
अलग-अलग चीजों से अभिषेक का महत्व
शिव पुराण में कई चीजों से भगवान शिव के अभिषेक करने का महात्म्य बताया गया है. इसमें यह भी बताया गया कि किन चीजों से अभिषेक के क्या फायदे होते हैं. मसलन, गन्ने के रस से धन लाभ, जलाभिषेक से सुवृष्टि, कुशोदक से दुखों का नाश, शहद से अखंड पति सुख, कच्चे दूध से पुत्र सुख, शक्कर के शर्बत से वैदुष्य, सरसों के तेल से शत्रु का नाश और घी के अभिषेक से सर्व कामना पूर्ण होती है.

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पूजा का समय और मंत्र
भगवान शिव की पूजा का सर्वश्रेष्ठ काल-प्रदोष समय माना गया है. किसी भी दिन सूर्यास्त से एक घंटा पहले और एक घंटा बाद के समय को प्रदोषकाल कहते हैं. सावन में त्रयोदशी, सोमवार और शिव चौदस प्रमुख हैं. भगवान शंकर को भष्म, लाल चंदन, रुद्राक्ष, आक के फूल, धतूरे का फल, बेलपत्र और भांग विशेष प्रिय हैं. उनकी पूजा वैदिक, पौराणिक या नाम मंत्रों से की जाती है. सामान्य व्यक्ति ओम नमः शिवाय या ओम नमो भगवते रुद्राय मंत्र से शिव पूजन और अभिषेक कर सकते हैं. शिवलिंग की आधी परिक्रमा करें.

शास्त्रों में शिव की आराधना को 'आत्मा त्वं गिरिजा मतिः सहचराः प्राणाः शरीरं गृहं' कहकर संबोधित किया गया है यानी शिव और शक्ति क्रमशः आत्मा और मति के रूप में विराजमान न होकर मेरे शरीर को पूर्णता प्रदान करें.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.) 

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Sawan 2022 shiv puja first monday niyam worship time, mantra and importance of abhishek in hindi
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सावन के पहले सोमवार पर करें इन मंत्रों के साथ शिव जी की पूजा
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सावन के पहले सोमवार पर करें इन मंत्रों के साथ शिव जी की पूजा

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Sawan Somwar Puja: सावन के पहले सोमवार पर करें इस विध‍ि से पूजा, जानें पूजा का समय, मंत्र और महत्व