डीएनए हिंदीः नवरात्रि में देवी पूजा (Navratri Devi Puja) का संपूर्ण फल तभी मिलता है जब कंजक पूजा (Kanjak Puja) किया जाता है. अगर आप कंजक पूजा यानी कन्या पूजा को लेकर संशय में है कि इसे सप्तमी को करना चाहिए या अष्टमी को तो आपके लिए ही ये खबर है.
नवरात्रि 9 दिनों का पर्व है जिस दौरान मां दुर्गा के 9 अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. भारतीय संस्कृति में कन्याओं को दुर्गा का ही रूप माना गया है. नवरात्रि व्रत को बिना कन्या पूजन के पूर्ण नहीं माना जाता है, लेकिन ये पूजा किस दिन करना शुभ होता है यह जानना भी जरूरी है. तो चलिए जानें कि सप्तमी या अष्टमी किस दिन कन्या पूजा करें.
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इन दो दिन करना चाहिए कन्या पूजा
कन्या पूजा या तो अष्टमी या तो नवमी को ही करना चाहिए. सप्तमी को कन्या पूजा नहीं का विधान नहीं होता है. हालांकि इस दिन आप कन्या की पूजा कर सकते हैं लेकिन अष्टमी और नवमी को भी आपको कन्या पूजन करना ही होगा. नवरात्रि के बाद अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है.
इस दिन छोटी कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर पूजा की जाती है साथ ही दो लड़के लांगूर के रूप में पूजे जाते हैं. मान्यता है कि नवरात्रि के बाद कन्या पूजन करने से माता प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सुख-समृद्धि और दीर्घायु का आशीर्वाद देती हैं.
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वहीं कई लोग अष्टमी या नवमी के बजाय नवरात्रि के बीच में ही किसी दिन कन्या पूजन कर देते हैं जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए. कन्या पूजन हमेशा नवरात्रि समाप्त होने के बाद अष्टमी या नवमी तिथि के दिन ही करना चाहिए. नवरात्रि के बीच में ही कन्या पूजन कर देने से नवरात्रि पूजन और व्रत का पूर्ण फल नहीं मिल पाता है. नवरात्रि के बीच में ही कन्या पूजन कर देना का मतलब यह भी बनता है कि आपने नवरात्रि समाप्त होने से पहले ही माता की विदाई कर दी. इसलिए कन्या पूजन हमेशा अष्टमी या नवमी के दिन ही करना चाहिए.
कन्या पूजन की विधि
कन्या पूजन के लिए 2-10 वर्ष की उम्र की कन्याओं को श्रद्धापूर्वक आमंत्रित करें. कन्याओं का घर में प्रवेश करते ही उन्हें बैठने के लिए उचित आसन प्रदान करें. इसके बाद दूध, गंगाजल या साफ जल से भरे थाल में उनके पैर धोएं. अब कन्याओं के माथे पर कुमकुम लगाएं. फिर उन्हें उनकी इच्छा अनुसार भोजन कराएं. कन्याओं को भोजन कराने के बाद उन्हें दक्षिणा या उपहार दें. इसके बाद उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें.
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कन्या पूजन में रखें इन बातों का विशेष ध्यान
कन्या पूजन में इस बात का ध्यान रखें कि उनकी उम्र 2 से 9 वर्ष के बीच हो.
कन्या पूजन के दौरान सभी कन्याओं का मुख पूर्व की ओर होना चाहिए.
कन्या पूजन के दौरान एक बालक को भी बैठाएं, दरअसल बालक भैरव का रूप माना जाता है.
कन्या पूजन के लिए बनने वाले प्रसाद में लहसुन, प्याज का इस्तेमाल ना करें. इसके अलावा यह भी ध्यान रखना चाहिए कि कन्याओं के लिए बनने वाला भोजन बिल्कुल ताजा हो.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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कन्या पूजन: सप्तमी या अष्टमी किस दिन बिठाएं कंजक, जानिए सही दिन