डीएनए हिंदी: हिंदू धर्म (Hindu Dharma) पंचांग की सभी तिथियों का विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हर माह की कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि को सकंष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2023) का व्रत किया जाता है. संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2023) का महत्व भगवान श्री गणेश जी की पूजा के लिए होता है. पंचांग के अनुसार, चैत्र माह का (Sankashti Chaturthi 2023) संकष्टी चतुर्थी का व्रत आज रखा जाएगा. संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2023) पर भगवान गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व होता है. गणेश भगवान की पूजा अर्चना करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं. तो चलिए चैत्र माह के संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2023) व्रत के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जानते हैं.
संकष्टी चतुर्थी 2023 शुभ मुहूर्त (Sankashti Chaturthi 2023 Shubh Muhurat)
चैत्र माह की कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि की शुरूआत 10 मार्च को रात 9 बजकर 42 मिनट पर हो चुकी है. चतुर्थी तिथि का समापन आज 11 मार्च को रात 10 बजकर 5 मिनट पर होगा. संकष्टी चतुर्थी के लिए चंद्रोदय के समय को महत्व दिया जाता है. आज का चंद्रोदय रात को 10 बजकर 3 मिनट पर होगा इसलिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत आज रखा जाएगा.
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संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)
- आज व्रत के दिन जल्दी स्नान आदि कर लें. इसके बाद आप जैसा व्रत करना चाहते हैं उसी प्रकार से पूजा व व्रत का संकल्प लें.
- आज पूरे दिन मन में "श्री गणेशाय नम:" मंत्र का जाप करते रहें. व्रत के दिन आपको साप्विकता पूर्ण रहना चाहिए.
- चंद्रयोद से पहले भगवान गणेश जी की मूर्ति की स्थापना करें. साफ स्थान पर गणेश जी की स्थापना करने के बाद शुद्ध घी का दीपक जलाएं और कुमकुम का तिलक लगाकर फूल माला चढ़ाएं.
- भगवान को अबीर, गुलाल, रोली, चावल आदि अर्पित करें और विधि-विधान से पूजा करें. भगवान गणेश जी को मौसमी फलों और लड्डू का भोग लगाकर प्रसन्न करें.
- व्रत का पूजन समाप्त होने के बाद आरती करें. इसके बाद चंद्रोदय के समय चंद्रमा को जल का अर्घ्य दें और भगवान से व्रत के फल के लिए प्रार्थना करें. संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है.
भगवान गणेशजी की आरती (Ganesh ji Ki Aarti)
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा..
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी.
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा.. ..
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा..
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया.
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा..
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी.
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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आज है चैत्र माह का संकष्टी चतुर्थी व्रत,जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि