माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को चतुर्थी व्रत किया जाता है. इसे सकट चौथ और गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन व्रत करने से भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस तिथि को तिल चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी और माघी चतुर्थी भी कहा जाता है. इस बार सकट चौथ का व्रत 17 जनवरी 2025 शुक्रवार के दिन रखा जाएगा. महिलाएं इस दिन व्रत रखकर संतान की दीर्घायु की कामना करती है, लेकिन व्रत का संकल्प लेने के साथ ही इसकी कथा जरूर पढ़नी चाहिए. बिना कथा के इस व्रत को अधूरा माना जाता है. आइए जानते हैं सकट चौथ व्रत की कथा और महत्व...
पहली व्रत कथा
एक दिन माता पार्वती नदी किनारे भगवान शिव के साथ बैठी थीं. उनको चोपड़ खेलने की इच्छा हुई, लेकिन उनके अलावा कोई तीसरा नहीं था, जो खेल में हार जीत का फैसला करें. ऐसे में माता पार्वती और शिव जी ने एक मिट्टी की मूर्ति में जान फूंक दी और उसे निर्णायक की भूमिका दी. खेल में माता पार्वती लगातार तीन से चार बार विजयी हुईं, लेकिन एक बार बालक ने गलती से माता पार्वती को हारा हुआ और भगवान शिव को विजयी घोषित कर दिया. इस पर पार्वती जी उससे क्रोधित हो गईं.
क्रोधित पार्वती जी ने उसे बालक को लंगड़ा बना दिया. उसने माता से माफी मांगी, लेकिन उन्होंने कहा कि श्राप अब वापस नहीं लिया जा सकता. लेकिन यह एक उपाय है. संकष्टी के दिन यहां पर कुछ कन्याएं पूजन के लिए आती हैं, उनसे व्रत और पूजा की विधि पूछना. तुम भी वैसे ही व्रत और पूजा करना. माता पार्वती के कहे अनुसार उसने वैसा ही किया. उसकी पूजा से प्रसन्न होकर भगवान गणेश उसके संकटों को दूर कर देते हैं.
दूसरी व्रत कथा
राजा हरिश्चंद्र के राज्य में एक कुम्हार था. वह मिट्टी के बर्तन बनाता, लेकिन वे कच्चे रह जाते थे. एक पुजारी की सलाह पर उसने इस समस्या को दूर करने के लिए एक छोटे बालक को मिट्टी के बर्तनों के साथ आंवा में डाल दिया. उस दिन संकष्टी चतुर्थी का दिन था. उस बच्चे की मां अपने बेटे के लिए परेशान थी. उसने गणेश जी से बेटे की कुशलता की प्रार्थना की. दूसरे दिन जब कुम्हार ने सुबह उठकर देखा तो आंवा में उसके बर्तन तो पक गए थे, लेकिन बच्चो का बाल बांका भी नहीं हुआ था. वह डर गया और राजा के दरबार में जाकर सारी घटना बताई. इसके बाद राजा ने उस बच्चे और उसकी मां को बुलवाया तो मां ने सभी तरह के विघ्न को दूर करने वाले संकष्टी चतुर्थी का वर्णन किया. इस घटना के बाद से महिलाएं संतान और परिवार के सौभाग्य के लिए सकट चौथ का व्रत करने लगीं.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी सामान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
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इस कथा के बिना अधूरा माना जाता है सकट चौथ का व्रत, जानें इसका शुभ मुहूर्त से लेकर कथा का महत्व