डीएनए हिंदी : Pitru Paksha shraddh 2022- पितृपक्ष के दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए कई प्रकार के कर्म किए जाते हैं उनमें से श्राद्ध, तर्पण व पिंडदान प्रमुख माना जाता है. कहा जाता है कि पितृपक्ष के दौरान भागवत कथा सुनने या पढ़ने की परंपरा सालों से चली आ रही है. भागवत कथा सुनने या पढ़ने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है साथ ही इस कथा को सुनने वाले लोगों का मन शांत होता है, निगेटिविटी दूर होती है.
भागवत कथा में भगवान श्री कृष्ण की महिमा का वर्णन मिलता है. भागवत कथा को सुनने या पढ़ने से श्रद्धालुओं के बुरे विचार खत्म हो जाते हैं और मन गलत कर्म करने से दूर भागता है.
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महर्षि वेद व्यास ने की थी श्रीमद् भागवत कथा की रचना
महर्षि वेद व्यास ने महाभारत की भी रचना की थी लेकिन इस ग्रंथ की रचना के बाद भी उनका मन अशांत था. उस समय नारद मुनि ने उनके उदासी का कारण पूछा तो उन्होंने कहा की मैंने महाभारत जैसे ग्रंथ की रचना की है फिर भी मेरा मन अशांत ही है. इसपर नारद मुनि ने जवाब देते हुए कहा कि महाभारत ग्रंथ में परिवार की लड़ाई है, युद्ध है अशांति है जिसकी वजह से आपका मन अशांत है. अब आपको ऐसे ग्रंथ की रचना करनी चाहिए जिसको पढ़ने के बाद मन को शांति मिले, जिसके केंद्र में भगवान हों और जिसका मूल सकारात्मक हो.
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तब महर्षि वेद व्यास ने श्रीमद् भागवत कथा की रचना की जिसके केंद्र में भगवान श्री कृष्ण को रखा और उनकी लीलाओं की मदद से संदेश दिया कि दुखों का और परेशानियों का सामना सकारात्मक सोच के साथ करने से जीवन मे शांति बनी रहती है.
ऐसे में पितृपक्ष के दौरान मन की शांति के लिए भागवत कथा सुनने व पढ़ने की परंपरा सालों से चली आ रही है. ऐसा करने से मन शांत रहता है और व्यक्ति के मन मे अच्छे विचार पनपते हैं और वह बुरे कर्म करने से दूर भागता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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पितृपक्ष में भागवत गीता पढ़ने की जानिए क्यों है परंपरा, पितर भी देंगे आशीर्वाद