Ratan Shastra: रत्न विज्ञान में मूंगा, मोती, माणिक, पुखराज, पन्ना, नीलम, गोमेद, हीरा और लहसुनिया सहित 9 रत्नों और 84 अर्द्ध कीमती पत्थरों को बहुत महत्व दिया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इन रत्नों को ज्योतिषीय सलाह से धारण करने से साधक को जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. रोजगार में बड़ी तरक्की और हर काम में अपार सफलता मिलने की संभावना है. भण्डार सदैव धन-धान्य से भरा रहता है. जीवन में सुख, समृद्धि, समृद्धि आये. ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन काल से ही रत्नों ने अपने आकर्षक रंग, प्रभाव और आभा के कारण मनुष्यों को प्रभावित किया है. रत्न व्यक्ति की किस्मत चमका सकते हैं और गलत तरीके से पहनने पर परेशानी भी ला सकते हैं. इसलिए बिना ज्योतिषी की सलाह के कोई भी रत्न पहनने से बचना चाहिए और रत्न पहनते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए. आइए जानते हैं 9 रत्न कब और किस उंगली में धारण करें?
रूबी
रत्नशास्त्र के अनुसार माणिक रत्न को सोने की अंगूठी में अनामिका उंगली में पहनना चाहिए. यह सूर्य रत्न है. इस रत्न को रविवार की सुबह धारण किया जा सकता है. माणिक्य रत्न धारण करने से हृदय रोग, नेत्र रोग, पित्त विकार आदि रोगों से मुक्ति मिलती है. आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है. घर में सुख-समृद्धि आती है. मेष, सिंह और धनु राशि में माणिक्य पहनना शुभ माना जाता है. इसके अलावा यदि सूर्य एकादश भाव, दशम भाव, नवम भाव, पंचम भाव, एकादश धन भाव में हो तो माणिक्य रत्न धारण किया जा सकता है.
मोती
मोती रत्न को चांदी की अंगूठी में छोटी उंगली में पहनना चाहिए. यह चंद्रमा का रत्न है. इस रत्न को सोमवार की सुबह धारण किया जा सकता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी रत्न को पहनने से पहले इस बात का विशेष ध्यान रखें कि वह टूटा-फूटा न हो. इसी प्रकार मोती भी टूटा हुआ नहीं होना चाहिए. इसलिए जब भी खरीदें तो अपना रत्न बहुत ही सावधानी से चुनें. सफेद मोती को चंद्रमा का कारक माना जाता है. इस रत्न को धारण करने वाले व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है.
मूंगा
मंगल रत्न को चांदी की अंगूठी में अनामिका उंगली में धारण किया जा सकता है. इस रत्न को मंगलवार की सुबह धारण किया जा सकता है. मूंगा मंगल ग्रह को शक्ति प्रदान करता है. मंगल एक उग्र ग्रह है. मंगल के ख़राब होने से व्यक्ति को दुर्घटनाओं के साथ-साथ रक्त संबंधी दुर्घटनाएं और धन हानि भी होती है. अकेला मंगल कभी ख़राब नहीं होता, उसके साथ ही एक-दो अन्य ग्रह भी हमें नुकसान पहुंचाने लगते हैं. इससे दुर्घटनाएं होती हैं, मूंगा पहनने से इन दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है. यह सब मंगल दोष के कारण होता है, इसे दूर करने के लिए लोग क्या-क्या करते हैं या मंगल दोष को शांत करने के लिए मूंगा पहनते हैं.
पन्ना
बुध का रत्न पन्ना सोने की अंगूठी में धारण किया जा सकता है. इसे बुधवार की सुबह छोटी उंगली में धारण करना चाहिए. नौकरी और व्यवसाय में उन्नति के लिए लोग पन्ना रत्न पहनते हैं. पन्ना पहनने से वाणी प्रभावशाली होती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. बुध ग्रह को मजबूत करने के लिए पन्ना रत्न धारण किया जाता है. इसे धारण करने से व्यापार और नौकरी में उन्नति मिलती है और यह रत्न आंखों के लिए भी लाभकारी होता है. जब बुध अपने नीच ग्रह में होता है तो आंखों की रोशनी कम होने लगती है, इसलिए कम उम्र में ही चश्मे की जरूरत पड़ती है. पन्ना पहनने से आंखों की रोशनी बढ़ती है.
टोपाज़
बृहस्पति का रत्न सोने की अंगूठी में तर्जनी उंगली में पहना जा सकता है. इस रत्न को आप गुरुवार की सुबह धारण कर सकते हैं. धन और मान-सम्मान पाने के लिए बृहस्पति का मजबूत होना जरूरी है, जिसके लिए पुखराज रत्न धारण किया जाता है. पुखराज एक पीले रंग का रत्न है जिसे मीन, मेष, सिंह और धनु राशि के लोगों को पहनना चाहिए. ज्यादातर लोग पुखराज पहने नजर आते हैं. पुखराज एक अत्यंत लाभकारी रत्न है. इसे कोई भी व्यक्ति पहन सकता है. ऐसा माना जाता है कि पुखराज पहनने से व्यक्ति को व्यापार में आर्थिक लाभ होता है और समाज में उसका मान-सम्मान बढ़ता है. इसे पहनने से काम में मन ज्यादा लगता है.
डायमंड
शुक्र का रत्न हीरा छोटी उंगली में चांदी या प्लैटिनम की अंगूठी में पहना जा सकता है. इस रत्न को शुक्रवार की सुबह धारण करना चाहिए. हीरा पहनने से शुक्र ग्रह मजबूत होता है. वहीं वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला और कुंभ लग्न वाले लोग हीरा रत्न पहन सकते हैं. हीरा पहनने से प्रसिद्धि, प्रतिभा, सौंदर्य और कला का लाभ मिलता है. यदि शुक्र आपकी राशि में अच्छी स्थिति में है तो आप यह रत्न धारण कर सकते हैं.
नीलम
शनि का रत्न नीलम शनिवार की शाम को मध्यमा उंगली में धारण करना चाहिए. इसे पंचधातु या चांदी की अंगूठी में धारण किया जा सकता है. मकर और कुम्भ राशि के जातक नीलम धारण कर सकते हैं. इन दोनों राशियों पर शनि का शासन है. यदि कुंडली में शनि नीच का हो तो नीला नीलम धारण करने से शनि की शक्ति में वृद्धि की जा सकती है. यदि कुंडली में शनि चौथे, पांचवें, दसवें और ग्यारहवें भाव में हो तो नीलम पहनना बहुत फायदेमंद होता है. मूंगा, माणिक और मोती को नीलम के साथ नहीं पहनना चाहिए, अन्यथा आपको भारी नुकसान हो सकता है, क्योंकि इन रत्नों से संबंधित ग्रह शनि का शत्रु है.
गोमेद
राहु रत्न को अष्टधातु या चांदी की अंगूठी में धारण किया जा सकता है. इसे शनिवार के दिन सूर्यास्त के बाद मध्यमा उंगली में धारण करना चाहिए. गोमेद पहनने से कुंडली में राहु मजबूत होता है. इसके अलावा यह शनि के अशुभ प्रभाव को भी कम करता है. ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को क्रोधी ग्रह माना जाता है. यदि राहु किसी व्यक्ति से नाराज हो जाए तो उसके जीवन में परेशानियां आने लगती हैं. गोमेद रत्न पहनने से राहु दोष दूर होता है और कुंडली में राहु की स्थिति मजबूत होती है: गोमेद रत्न को चांदी में जड़वाकर शनिवार के दिन धारण करें. धारण करने के पहले दिन यानी शुक्रवार को इस अंगूठी को गंगा जल, दूध और शहद में डालकर रखना चाहिए.
चांदी
केतु के रत्न को चांदी की अंगूठी में धारण करना चाहिए. इस रत्न को मंगलवार या शनिवार को सूर्यास्त के बाद अनामिका उंगली में धारण किया जा सकता है.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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मूंगा और पन्ना समेत 9 रत्न कब और किस उंगली में पहनना होता है शुभ, जानें क्या मिलता है फायदा