डीएनए हिंदी: रामायण (Ramayana) काल में लंका विजय के लिए बनाए गए पुल रामसेतु (Ram Setu) के बारे में तो सभी जानते हैं. ऐसा माना जाता है कि पत्थरों पर राम का नाम लिखकर रामसेतु (Ram Setu) बनाया गया था. राम का नाम लिखने के बाद पत्थर पानी पर तैरने लगे थे. हालांकि बहुत कम लोग यह जानते हैं कि रामसेतु (Ram Setu) बनाने में वानर नल और नील की विशेष भूमिका रही थी. वानर नल और नील (Nal and Neel) को बचपन में एक श्राप मिला था. इनका यहीं श्राप रामसेतु (Ram Setu) के निर्माण में वरदान साबित हुआ था. आज हम आपको नल और नील (Nal and Neel) को मिले इस श्राप की कथा के बारे में बताने वाले हैं.
नल और नील को मिला था ऐसा श्राप (Nal And Neel Sharp)
भगवान विश्वकर्मा के पुत्र नल और नील बचपन में बहुत ही नटखट स्वभाव के थे. वह अपने बालपन में ऋषियों और मुनियों को खूब परेशान करते थे. जब ऋषि-मुनि ध्यान में बैठे होते थे तब वह चुपके से उनकी यहां रखी मूर्ति और सामान लाकर पानी में फेंक देते थे. ऋषि-मुनि को अपना सामान ढूंढने में बहुत ही परेशानी होती थी इसलिए उन्होंने नल और नील को यह श्राप दिया कि उनके द्वारा पानी में फेंकी कोई भी चीज डुबेगी नहीं. श्राप मिलने के बाद नल और नील कोई भी चीज पानी में फेंकते तो वह पानी पर तैरती रहती और वह आसानी से सामान को वापस ले आते.
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रामसेतु निर्माण में वरदान साबित हुआ नल और नील का श्राप
नल और नील को ऋषियों से मिला यहीं श्राप रामसेतु निर्माण के समय काम आया था. भगवान श्री राम ने जब समुद्र से आह्वान किया था तो उन्होंने ही प्रकट होकर नल नील के श्राप का जिक्र करके समुद्र पर पुल बनाने का समाधान बताया था. पूरी वानर सेना ने नल और नील की मदद से ही समुद्र पर रामसेतु बनाया था.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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नल नील को मिले श्राप के कारण ही बन सका था रामसेतु, जानिए क्यों नहीं डूबते थे समुद्र में पत्थर