डीएनए हिंदी: कार्तिक मास में सुबह जल्द उठकर नहाने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है. इसी माह में राम एकादशी व्रत पड़ता है. इस एकादशी का विशेष महत्व होता है. व्रत रखने मात्र से ही सुख सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है. इसकी वजह एकादशी का व्रत भगवान श्री विष्णु का माना जाता है. इस व्रत को रखने और पूजा अर्चना करने मात्र से ही श्री हरि विष्णु जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है. अगर आपकी आर्थिक तंगी कमजोर है या फिर कर्ज हो रहा है तो रमा एकादशी का व्रत जरूर करें. इस दिन भगवान की कामना करने से सभी तरह की समस्याएं खत्म हो जाती है. इस एकादशी पर भगवान कथा जरूर पढ़नी चाहिए. ऐसा नहीं करने पर व्रत और पूजा अधूरी मानी जाती है. आइए जानते हैं कब है राम एकादशी, इसका व्रत, कथा और महत्व...

कब है रमा एकादशी व्रत

रमा एकादशी व्रत दिवाली से 4 दिन पूर्व बुधवार यानि 9 नवंबर को रखा जाएगा. कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की रमा एकादशी तिथि की शुरुआत 8 नवंबर 2023 की सुबह 8 बजकर 23 मिनट से हो रहा है. यह अगले दिन 9 नवंबर 2023 को सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि होने पर 9 नवंबर को रमा एकादशी का व्रत रखा जाएगा. इस व्रत के प्रभाव से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. भगवार श्री विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. 

रमा एकादशी की कथा

पौराणिक काल में बताया गया है कि मुचुकुंद नाम का राजा राज्य करता था. वह बड़ा सत्यवादी तथा विष्णुभक्त था. उसका राज्य बिल्कुल निष्कंटक था. उसकी चन्द्रभागा नाम की एक बेटी थी, जिसका विवाह उसने राजा के पुत्र सोभन से कर दिया. राजा मुचुकुंद एकादशी का व्रत बड़े ही नियम से करता था और उसके राज्य में सभी इस नियम का पालन करते थे.एक बार कार्तिक माह में राजकुमार सोभन अपनी ससुराल आया हुआ था. इस दौरान रमा एकादशी का व्रत आने वाला था. सोभन की पत्नी चन्द्रभागा ने सोचा कि मेरे पति तो बड़े कमजोर हृदय के हैं, वे एकादशी का व्रत कैसे करेंगे, जबकि पिता के यहां तो सभी को व्रत करने की आज्ञा है. चंद्रभागा ने पति को बताया कि यहां जीव-जंतु भी एकादशी के दिन भोजन नहीं करते हैं, ऐसे में अगर राज्य का दामाद ही व्रत नहीं करेगा तो उसे राज्य के बाहर जाना पड़ेगा.

अगले जन्म में मिला मां लक्ष्मी का आशीर्वाद

चंद्रभागा की इस बात को सुनने के बाद आखिरकार शोभन को रमा एकादशी व्रत रखना ही पड़ा. लेकिन, पारण करने से पहले ही उसकी मृत्यु हो गयी. इसके बाद चंद्रभागा अपने पिता के यहां ही रहने लगी. यहां रहकर ही पूजा-पाठ और व्रत करती थी. वहीं एकादशी व्रत के प्रभाव से शोभन को अगले जन्म में देवपुर नगरी का राज्य प्राप्त हुआ जहां धन-धान्य और ऐश्वर्य की कोई कमी नहीं थी. एक दिन मुचुकुंद के नगर के ब्राह्मण ने शोभन को देखा तो उसे पहचान लिया.

रमा एकादशी व्रत के प्रभार से फिर आए पति-पत्नी

चंद्रभागा ने बताया कि वह पिछले 8 साल से एकादशी व्रत कर रही है इसके प्रभाव से पति शोभन को पुण्य फल की प्राप्ति होगी. चंद्रभागा शोभन के पास जाती है और उसे एकादशी व्रत का समस्त पुण्य सौंप देती हैं. इसके बाद मां लक्ष्मी की कृपा से देवपुर में सुख, सौभाग्य और समृद्धि में वृद्धि होती है और चंद्रभागा-सोभन साथ रहने लगते हैं.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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rama ekadashi 2023 date and time 9 november 2023 rama ekadashi vrat puja vidhi katha and shubh muhurat
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रमा एकादशी का होता है बड़ा महत्व, जानें इसकी कथा और शुभ मुहूर्त
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