रक्षाबंधन के दिन बहन भाई के हाथ पर राखी बांधती है और भाई संकट के समय उसकी रक्षा का वचन देता है. यह एक तरह से प्यार का बंधन है. हमारे पुराणों में कहा गया है कि राखी बांधते समय एक मंत्र का जाप करना चाहिए. अक्सर घर में पूजा होने पर पंडित रक्षासूत्र बांधते हुए इस मंत्र का उच्चारण करतेहैं. राखी भी एक प्रकार का रक्षासूत्र है. इस साल अपने भाई को राखी बांधते समय आपको भी यह मंत्र भी बोलना चाहिए.

राखी बांधते समय बोलें ये मंत्र

'येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्र महाबल: तेन त्वं काम्यनामि रक्षे माचल माचल:.'

क्या है इस मंत्र का अर्थ

निःसंदेह, मैं तुम्हें उसी रक्षासूत्र से बांध रही हूं जिससे शक्तिशाली राजा बलि को बांधा गया था. जो आपको सभी परेशानियों से बचाएगा.

राजा बलि की कहानी

इस मंत्र से संबंधित कथा विष्णु पुराण, वामन पुराण और भविष्य पुराण में मिलती है. विष्णु पुराण में बताया गया है कि राजा बलि बहुत ही दानी राजा के रूप में प्रसिद्ध थे. वह भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था. एक बार उन्होंने एक यज्ञ का आयोजन किया. देवराज इंद्र को डर था कि यदि यह यज्ञ सफल हुआ तो राजा बलि सर्वशक्तिमान हो जायेंगे. इस यज्ञ को सफल होने से रोकने के लिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु की आराधना की. इस पर भगवान विष्णु वामनावतार लेकर यज्ञ में गये और तीन पग भूमि दान में मांगी. बलिराजा इतने उदार थे कि उन्होंने तुरंत विष्णु को वामन तथास्तु कहा.

तीसरा कदम बलि राजा के सिर पर रखा गया

भगवान ने एक ही पग में पृथ्वी को नाप लिया. आकाश दूसरे पग में लेकिन अब सवाल यह था कि तीसरा पग कहां रखा जाए. जब भगवान ने राजा बलि से यह प्रश्न पूछा तो बलिराजा ने बड़ी नम्रता से कहा, “तीसरा कदम मेरे सिर पर रख दीजिये.” इस अवसर का लाभ उठाते हुए, वामन के रूप में भगवान ने पीड़ित के सिर पर तीसरा कदम रखा और उसे पाताल भेज दिया. भगवान राजा बलि की उदारता से प्रसन्न हुए और उनसे भिक्षा माँगने को कहा. इस पर बलिराजा ने विष्णु से पाताल लोक में अपने साथ रहने को कहा. तब भगवान विष्णु वामन अवतार में पाताल में रहने लगे.

चार माह तक भगवान पाताल में निवास करते हैं

विष्णु के पाताल चले जाने से माता लक्ष्मी अप्रसन्न हो गईं लेकिन राजा बलि की भक्ति और दानशीलता को जानकर वह भगवान को वापस लाने के लिए एक गरीब महिला का रूप धारण कर पाताल चली गईं. उस गरीब महिला को देखकर बलि राजा ने उसे अपने महल में रहने की इजाजत दे दी और उसे अपनी बहन की तरह सम्मान दिया. श्रावण पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी ने राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधा था.

इस पर पीड़ित ने कहा, मैं तुम्हें कुछ देना चाहता हूं, बताओ तुम्हें क्या चाहिए. इस पर तुरंत ही देवी लक्ष्मी अपने असली रूप में पीड़िता के सामने प्रकट हो गईं और मैं अपने पति को लेने के लिए यहां आई हूं. माता लक्ष्मी ने कहा कि मैं भगवान विष्णु को वापस वैकुंठ ले जाने के लिए यहां आई हूं. बाली राजा अपने वादे के प्रति सच्चा था, उसने माता लक्ष्मी से किया अपना वादा निभाया और विष्णु को अपने साथ ले जाने की अनुमति दी. तब विष्णु ने राजा बलि को वचन दिया कि वह स्वयं हर वर्ष चार महीने पाताल में निवास करेंगे और उन चार महीनों को चातुर्मास के रूप में जाना जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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Raksha Bandhan Mantra: Chant this mantra while tying Rakhi, relationship become unbreakable and love increase
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Raksha Bandhan Mantra: राखी बांधते समय बोलें ये मंत्र, अटूट बन जाएगा रिश्ता
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