डीएनए हिंदीः 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला विग्रह की स्थापना की जाएगी. अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला विराजमान हो चुके हैं. इस खास आयोजन को लेकर पूरे देश में उत्साह और उमंग का माहौल बना हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलला के मुख्य यजमान की जिम्मेदारी संभाल ली है.
शास्त्रों के अनुसार, विग्रह स्थापना में मुख्य यजमान की भूमिका निभाने वाले व्यक्ति को कुछ सख्त नियमों और अनुष्ठानों से गुजरना पड़ता है. शास्त्रों में इसे यम नियम कहा गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामलला विग्रह में प्राण स्थापित करने के लिए यम नियम का पालन कर रहे हैं. वह 12 जनवरी से 22 जनवरी तक 11 दिनों तक यम नियम का पालन कर रहे हैं.
यम नियम क्या है?
शास्त्रों के अनुसार किसी मूर्ति में प्राण स्थापित करना बहुत ही शुभ और पवित्र प्रक्रिया है. इसलिए इस प्रक्रिया में कुछ सख्त नियमों का पालन करना होगा. अष्टांग योग का पहला अनुष्ठान यम नियम है. यम नियम के अलावा, अष्टांग योग में नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्यावर्तन, ध्यान, ध्यान, भजन और समाधि शामिल हैं.
कई लोग मानते हैं कि बौद्ध धर्म के पांच आदर्श - अहिंसा, सत्य, तप, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह - कुछ हद तक यम नियम से मिलते जुलते हैं. यम नियम के सख्त अनुष्ठानों में दैनिक स्नान, भोजन से परहेज करना, बिस्तर को न छूना शामिल है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इन अनुष्ठानों का पालन कर रहे हैं.
यम निगम में क्या कर रहे हैं मोदी?
रामलला के निधन से पहले 11 दिन तक प्रधानमंत्री ने अन्न ग्रहण नहीं किया था. वह नियमानुसार पानी भी नहीं पी रहे हैं. इन 11 दिनों से वह सिर्फ बोतलबंद पानी ही खा रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यम निगम के सख्त नियमों का पालन करने के साथ-साथ अपने प्रशासनिक कर्तव्यों का भी पूरी तरह से पालन कर रहे हैं.
वह राम लला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए देश के विभिन्न मंदिरों का दौरा कर रहे हैं. वह खासतौर पर दक्षिण भारत के उन मंदिरों में जा रहे हैं और प्रार्थना कर रहे हैं जिनका राम के जीवन से विशेष संबंध रहा है.
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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले 'यम नियम' का पालन, जानें क्या है ये नियम