Pitru Paksha 2024: साल में एक बार 15 दिनों के लिए पितृपक्ष आता है. यह भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होता है, जिसमें पितर यानी पूर्वजों को निमित्त कर्मकांड जैसे श्राद्ध पिंडदान, तर्पण किए जाते हैं. इससे पितृदोष से मुक्ति मिलती है. साथ पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. पितृपक्ष भाद्रपद माह के आश्विन अमावस्या को खत्म होते हैं. इस बार पितृपक्ष की शुरुआत 17 सितंबर 2024 से होगी. ज्योतिषाचार्य प्रीतिका मोजूमदार बताती हैं कि मान्यता है कि पितृपक्ष के ​दौरान पितर धरती पर आते हैं. वह अपने परिवार के पास जाते हैं. ऐसे में पिंडदान से लेकर तर्पण से उनकी आत्मा को शांति प्राप्त होती है. पितृपक्ष की यह परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है. बताया जाता है कि इसकी शुरुआत महाभारत काल में हुई थी. आइए जानते हैं कि कैसे शुरू हुए थे पितृपक्ष और तर्पण...

महाभारत के कर्ण से हुई पितृपक्ष की शुरुआत 

पितृपक्ष की शुरुआत का वर्णन महाभारत काल से मिलता है. बताया जाता है कि पितृपक्ष की शुरुआत महाभारत में महान योद्धा और दानवीर कर्ण से हुई थी. यही आज तक चली आ रही है. महाभारत में कौरवों और पांडवों के बीच रहे युद्ध में 17वें दिन अर्जुन ने कर्ण का वध कर दिया था. मृत्यु के बाद दानवीर कर्ण की आत्मा यमलोक पहुंची. यहां उसके कर्मों को देखते हुए स्वर्ग में स्थान दिया गया. इसकी वजह कर्ण के द्वारा अंतिम समय तक दान करना था.  

भोजन में मिले रत्न और आभूषण

जब कर्ण स्वर्ग में पहुंचा तो उसे खानपान में अन्न की जगह रत्न और आभूषण दिये गये. इन चीजों को परोसने पर कर्ण परेशान हो गया. कर्ण देवराज इंद्र के पास पहुंचा. उसने इंद्र से पूछा कि इतना दान पुण्य करने के बाद भी मुझे अन्न क्यों नहीं मिलता है. मैं भूख हूं और मुझे मोती व अन्य आभूषण दिये जा रहे हैं. इंद्र ने कर्ण को बताया कि तुमने धन, आभूषण और रत्न दान किये हैं. कभी अन्न का दान ही नहीं किया. साथ ही कभी अपने पूर्वजों का श्राद्ध नहीं किया. इसलिए तुम्हें स्वर्ग में अन्न की जगह मोती और रत्न दिये जाते हैं. इस कर्ण ने कहा कि मुझे इसकी जानकारी ही नहीं थी. 

कर्ण ने किया पूर्वजों का श्राद्ध

इसी के बाद कर्ण ने इंद्रा से कहा कि मैं अपने पूर्वजों का श्राद्ध करना चाहता हूं, लेकिन यह कैसे होगा. इसका मुझे ज्ञान दीजिये. तब इंद्र के कहने पर कर्ण की आत्मा को 15 दिनों के लिए धरती पर भेजा गया. यहां धरती पर आकर कर्ण ने नियमित रूप से 15 दिनों तक पूर्वजों के नाम से अन्न दान किया. उन्होंने लोगों को भोजन कराया. मान्यता है कि इसी के बाद ​से पितृपक्ष की शुरुआत हुई. 

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)  

ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगलफेसबुकxइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.

Url Title
pitru paksha 2024 start date why do pind daan and shradh in pitru paksha connection of mahabharat karana
Short Title
महाभारत के इस योद्धा ने किया था सबसे पहले श्राद्ध, इसी के बाद से हुई पितृपक्ष
Article Type
Language
Hindi
Section Hindi
Created by
Updated by
Published by
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
pitru paksha 2024
Date updated
Date published
Home Title

महाभारत के इस योद्धा ने किया था सबसे पहले श्राद्ध, इसी के बाद से हुई पितृपक्ष की शुरुआत

Word Count
493
Author Type
Author