Holika Dahan 2025: होली हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है. होली फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती हे. होली के त्योहार से एक दिन पूर्व होलिका दहन किया जाता है. होलिका दैत्यराज हिरण्यकश्यप की बहन थी. उसे ब्रह्मा जी एक ऐसा वरदान प्राप्त था, जिसकी वजह से वह अपने भतीजे भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद को लेकर अग्निकुंड में बैठी थी, लेकिन इसमें वह खुद ही जलकर स्वाह हो गई, लेकिन क्या आपको मालूम है कि होलिका देवी होने के बाद भी राक्षसी कैसे बनी और अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त होने के बाद भी आग में जलकर भस्म हो गई. आइए जानते हैं इसके पीछे की पूरी कहानी...

इस ऋषि के श्राम की वजह से देवी से होलिका बनी राक्षसी

पौराणिक कथा केजत अनुसार, राक्षसों का राजा दैत्यराज हिरण्यकश्यप की बहन होलिका पूर्व जन्म में देवी थी. राक्षस कुल में उसका जन्म ऋषि से श्राप पाने की वजह से हुआ था. होलिका राक्षस कुल में जन्म लेकर ऋषि से मिले श्राप को ही भुगत रही थी. भाई के कहने पर भतीजे प्रहलाद को आग के कुंड में लेकर वह अग्निकुंड में बैठी थी. इसकी वजह होलिका को ब्रह्मा से आग में न जलने का वरदान प्राप्त था, लेकिन होलिका अग्नि कुंड में भस्म हो गई और उसे ऋषि के श्राप से मुक्त मिली. आग में जलने के बाद ही होलिका शुद्ध हो गई और राक्षसी होने के बाद फिर से देवी का स्वरूप लिया. यही वजह है कि होलिका दहन के दिन उसकी पूजा की जाती है.

अपने पुत्र को मारना चाहता था हिरण्यकश्यप

दैत्यराज हिरण्यकश्यप के राज्य में भगवान विष्णु की पूजा वर्जित थी, लेकिन हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का बड़े भक्त थे. वह पिता के विरुद्ध जाकर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करती थी. हिरण्यकश्यप बेटे के पूजा करने के खिलाफ थे. इसके चलते उसने अपने पुत्र को मारने के कई प्रयास किए. आखिर में उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वो प्रहलाद को अग्नि पर लेकर बैठ जाए, लेकिन नारायण की कृपा से प्रहलाद बच गए और होलिका जलकर स्वाह हो गई.

इस दिन है होलिका दहन और पूजा का शुभ मुहूर्त 

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 मार्च 2025 को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर होगी. इसका समापन अगले दिन 14 मार्च 2025 को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर होगा. ऐसे में होलिका दहन 13 मार्च 2025 को ही किया जाएगा. होलिका दहन का का शुभ मुहूर्त 13 मार्च 2025 को रात 11 बजकर 26 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा. ऐसे में होलिका दहन के लिए कुल 1 घंटे 4 मिनट का समय होगा. 

Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी सामान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)

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देवी होने के बाद भी कैसे राक्षसी बनी होलिका, जानें क्या है इसके पीछे की कहानी
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देवी होने के बाद भी कैसे राक्षसी बनी होलिका, जानें क्या है इसके पीछे की कहानी

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