डीएनए हिंदी : Pakistan Hinglaj Mata Mandir- मान्यताओं के अनुसार नवारात्रि में देवी के शक्ति पीठों (Navratri Shakti Peeth) के दर्शन करने से काफी लाभ मिलता है, आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. पुराणों के मुताबिक विश्व में 51 शक्ति पीठ हैं (India's Shaki Peeth) जिसमें से 42 भारत में हैं और 9 अन्य देशों में है. इसमें एक पाकिस्तान (Pakistan Shakti Peth) में भी है. आज हम पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित शक्ति पीठ का इतिहास, मान्यता और महत्व के बारे में सारी बातें जानेंगे.
पाकिस्तान के बलूचिस्तान (Pakistan Baluchistan Mata Mandir) में स्थित हिंगलाज माता का मंदिर सिर्फ पाकिस्तान में ही नहीं बल्कि भारत में भी बहुत लोकप्रिय है, हर साल हजारों की तादाद में लोग वहां दर्शन के लिए जाते हैं. कहा जाता है कि यह मंदिर 2000 साल से भी अधिक पुराना है. इस मंदिर की कहानी बहुत प्राचीन है.यह एक गुफा के अंदर है और जाने का रास्ता अमरनाथ यात्रा से भी कठिन है.
यह भी पढ़ें- नवरात्रि पर करें ये उपाय, होगी धन और संपत्ति की प्राप्ति
अमरनाथ से कठिन है यात्रा (Tough than Amarnath Yatra)
हिंगलाज मंदिर पहुंचना अमरनाथ यात्रा से भी ज्यादा कठिन माना जाता है. रास्ते में 1000 फुट ऊंचे-ऊंचे पहाड़, दूर तक फैला सुनसान रेगिस्तान, जंगली जानवर वाले घने जंगल और 300 फीट ऊंचा मड ज्वालामुखी पड़ता है. ऊपर से डाकुओं और आतंकियों का डर भी लगता है.
क्या है इतिहास और कहानी (Hinglaj Temple History and Kahani)
भगवान शिव और देवी सती का विवाह हो चुका था लेकिन देवी सती के पिता दक्ष ने भगवान शंकर का अपमान किया तो देवी सती ने आत्मदाह कर लिया.जब शंकर जी को अपनी पत्नी की मृत्यु का समाचार मिला तो वो गुस्से में भर उठे.आत्मदाह के बाद देवी के शरीर के 51 हिस्से अलग-अलग स्थानों पर गिरे,जहां जहां ये गिरे वहां शक्तिपीठ बन गए. शक्ति पीठ का यही महत्व है. हिंगलाज मंदिर वहां स्थित है जहां देवी सती का सिर गिरा था. इसलिए मंदिर में माता अपने पूरे रूप में नहीं दिखतीं,बल्कि उनका सिर्फ सिर नजर आता है क्योंकि सिर का महत्व शरीर में सबसे ज्यादा होता है इसलिए हिंगलाज माता का महत्व भी शक्तिपीठों में सबसे ज्यादा माना जाता है.
यह भी पढ़ें- बंगाल में क्यों खास है अष्टमी, क्यों कहते हैं इसे महाअष्टमी, जानें महत्व
आपको सुनकर आश्चर्य हो रहा होगा कि एक मुस्लिम देश में हिंदू माता का मंदिर कैसे और क्यों मुस्लिम इसे अपना हज मानते हैं. इस मंदिर की कमेटी में हिंदू और मुसलमान दोनों हैं और कम से कम 15 से 20 हजार लोग साल में दो बार यहां दर्शन के लिए आते हैं.
मुस्लिमों के लिए है हज (Haj For Muslims)
हिंगलाज मंदिर के प्रमुख पुजारी महाराज गोपाल गिरी का कहना है कि इस पवित्र जगह पर हिंदू-मुस्लिम का कोई फर्क नहीं दिखता.कई बार मंदिरों में पुजारी-सेवक मुस्लिम टोपी पहने दिखते हैं, तो कई बार मुस्लिम देवी माता की पूजा के दौरान साथ खड़े दिखते हैं. पाकिस्तानियों के लिए यह मंदिर 'नानी का मंदिर'है.नानी के इस मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु भक्तिभाव से आते हैं.
यह भी पढ़ें- दशमी का दिन बहुत है खास,जानें क्यों और क्या है इस साल दशमी का मुहूर्त
यात्रा शुरू करने से पहले लेनी होती है 2 शपथ (Two oaths before visiting the temple)
हिंगलाज माता के दर्शन के लिए जाने वाले यात्रियों को 2 शपथ लेनी पड़ती है.पहली माता के मंदिर के दर्शन करके वापस लौटने तक सन्यास ग्रहण करने की.दूसरी,पूरी यात्रा में कोई भी यात्री अपने सहयात्री को अपनी सुराही का पानी नहीं देगा. भले ही वह प्यास से तड़प कर वीराने में मर जाए. इसके अलावा पाकिस्तान सरकार से भी कागजी इजाजत लेनी होती है.
पुराण के मुताबिक पाकिस्तान में एक,बांग्लादेश में चार,श्रीलंका में एक,तिब्बत में एक और नेपाल में दो शक्तिपीठ मौजूद हैं. पाकिस्तान में हिंगलाज शक्तिपीठ,तिब्बत में मानस शक्तिपीठ,श्रीलंका में लंका शक्तिपीठ,नेपाल में गण्डकी शक्तिपीठ व गुह्येश्वरी शक्तिपीठ,बांग्लादेश में सुगंध शक्तिपीठ,करतोयाघाट शक्तिपीठ,चट्टल शक्तिपीठ और यशोर शक्तिपीठ है.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर
- Log in to post comments
Pakistan Hinglaj Mandir : यहां गिरा था सती का सिर, क्या है मंदिर का इतिहास और महत्व