डीएनए हिंदी: भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति की परिक्रमा करें तो एक बात ध्यान रखें कि कभी उनकी पीठ के दर्शन न करें. इस बात के तार एक कहानी से जुड़े हैं जिसके अनुसार भगवान की पीठ में अधर्म का वास होता है इसलिए पीठ की तरफ नहीं देखना चाहिए.
इस कहानी के अनुसार जब श्रीकृष्ण जरासंध से युद्ध कर रहे थे तब जरासंध का एक साथी असुर काल्यवन भी भगवान से युद्ध करने आ पहुंचा. वह प्रभु के सामने आकर उन्हें ललकारने लगा. उसकी ललकार सुनकर श्रीकृष्ण वहां से भाग निकले जब श्रीकृष्ण भाग रहे थे तब काल्यवन भी उनके पीछे-पीछे भागने लगा.
भगवान उस असुर की ललकार सुनकर इसलिए भागे थे क्योंकि काल्यवन के पिछले जन्मों के पुण्य बहुत अधिक थे और भगवान किसी को भी तब तक सजा नहीं देते जब कि पुण्य का बल शेष रहता है.काल्यवन कृष्ण की पीठ देखते-देखते भागता रहा और इस तरह उसका अधर्म बढने लगा. जब काल्यवन के पुण्य का प्रभाव खत्म हो गया तो कृष्ण एक गुफा में चले गए. काल्यवन भी कृष्ण के पीछे-पीछे गुफा में चला गया.
इस गुफा में राजा मुचुकुंद निद्रासन में थे और मुचुकुंद को देवराज इंद्र का वरदान था कि जागने के बाद जिस किसी पर भी उनकी पहली नजर पड़ेगी वह भस्म हो जाएगा. गुफा में कौन-कौन है इस बात से अनजान काल्यवन अंदर तो घुस आया लेकिन कृष्ण को नहीं ढूंढ पाया. फिर उसकी नजर राजा मुचुकुंद पर पड़ी. काल्यवन ने मुचुकुंद को कृष्ण समझकर उठा दिया और जैसे ही राजा की नजर उस पर पड़ी वह जल कर भस्म हो गया. अत: भगवान श्री हरि की पीठ के दर्शन नहीं करने चाहिए क्योंकि इससे हमारे पुण्य कर्म का प्रभाव कम होता है और अधर्म बढ़ता है.
- Log in to post comments