डीएनए हिंदी: अरब देशों में एक नए धर्म को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. इस धर्म का अभी न कोई फॉलोअर हैं न ही कोई किताब या ग्रंथ. यहां तक कि अभी इस धर्म को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा भी नहीं की गई है.
क्या है अब्राहमिक धर्म?
इस नए धर्म का नाम अब्राहमिक बताया जा रहा है. कई धर्म इसे एक धार्मिक प्रोजेक्ट की तरह देख रहे हैं. यह ईसाई धर्म, इस्लाम और यहूदी धर्म को मिलाकर बना है. इसमें तीनों धर्मों की मितली-जुलती बातों को शामिल किया गया है वहीं इसका नाम नबी अब्राहम पर रखा गया है.
क्यों पड़ी अब्राहमिक धर्म की ज़रूरत?
इस नए धर्म की चर्चा अरब देशों में पिछले एक साल से चल रही है. इसका मकसद एक ऐसा धर्म बनाना है जिसका न कोई ग्रंथ हो, न कोई फॉलोअर, और न ही कई अस्तित्व. कुल मिलाकर एक ऐसी आइडियोलॉजी बनाना जिसमें आपसी फर्क को भुलाकर पूरी दुनिया में शांति कायम की जा सके.
राजनीतिक वजहों से बनाया जा रहा है नया धर्म?
जो लोग इस धर्म के खिलाफ हैं उनका कहना है कि ये धर्म राजनीतिक फायदों के लिए बनाया जा रहा है. ताकि इज़राइल और अरब देशों के रिश्ते अच्छे हों और हालात सुधर सकें. 'अब्राहमिया' शब्द की शुरुआत सितंबर 2020 में हुई जब संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने इज़रायल के साथ नॉर्मलाइज़ेशन एग्रीमेंट (सामान्यकरण एग्रीमेंट) साइन किया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके सलाहकार जारेद कश्नर के द्वारा स्पॉन्सर किए गए इस एग्रीमेंट का नाम 'अब्राहमियन एग्रीमेंट' था. अमेरिका का कहना था कि वह शांति बनाए रखने के लिए इंटर कल्चरल और इंटर रिलीजियस कोशिशों का समर्थन करता है और उन्हें बढ़ावा देता है.
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