डीएनए हिंदी: हिन्दू धर्म में नवरात्रि एक प्रमुख त्यौहार के रूप में माना जाता है. नौ दिन तक चलने वाले इस त्यौहार में लोग शक्ति की पूजा और आराधना करते हैं. नवरात्रि एक संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ होता है नौ रातें. इन नौ रातों के दौरान  देवी और उनके  नौ रूपों की पूजा की जाती है. हर वर्ष विक्रम सम्वत की प्रथम तिथि के दिन चैत्र नवरात्रि का  शुभारम्भ होता है.

इस दिन को भारत के अलग-अलग प्रदेश में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है और इसे हिंदू नववर्ष के पहले दिन के रूप में भी जाना जाता है. इस वर्ष हिंदू नववर्ष का प्रारंभ 2 अप्रैल से  हो रहा है. इस बार मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएगी और भैंस पर सवार होकर वापस जाएगी. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार चैत्र नवरात्रि को पूरे नौ दिन तक मनाया जायेगा और मां दुर्गा के नौ रूपों की विधि-विधान से पूजा अर्चना होगी.  

जानिए मां के 9 स्वरूप 

नवरात्रि के नौ रातों में प्रमुख रूप से तीन देवियों - महालक्ष्मी, महासरस्वती या सरस्वती और महाकाली के नौ स्वरुपों की पूजा होती है. नन्दा देवी ,योगमाया (विंध्यवासिनी शक्तिपीठ), रक्तदंतिका (सथूर), शाकम्भरी (सहारनपुर शक्तिपीठ), दुर्गा(काशी), भीमा (पिंजौर) और भ्रामरी (भ्रमराम्बा शक्तिपीठ) को मिलाकर ही नवदुर्गा कहा जाता है. 

जानिए मां के नौ स्वरुप को क्या लगाए भोग 

पहला दिन मां शैलपुत्री  

पहला दिन मां शैलपुत्री का माना जाता है. इस दिन मां शैलपुत्री की विधिवत पूजा की जाती है. माना जाता है कि मां शैलपुत्री को पीला रंग प्रिय  होता है. इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनकर पूजा करने को विशेष मान्यता है. वहीं  मां शैलपुत्री को हिमाल्य की पुत्री भी कहते हैं. सफेद रंग को भी मां शैलपुत्री के प्रिय रंगों में गिना जाता है. आरोग्य और धन लाभ के लिए मां को गाय के घी का भोग लगाने की मान्यता है. 

दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी  

नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी का पूजन किया जाता है. ब्रह्मचारिणी का अर्थ होता है, तप का आचरण करने वाली. इनका स्वरूप अत्यंत तेजमय और भव्य और वस्त्र श्वेत हैं. मां ब्रह्मचारिणी अपने दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल धारण करती हैं.  इस दिन मां ब्रह्मचारिणी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाने की मान्यता है और  मिश्री या सफेद रंग की मिठाई का भोग भी लगाया जाता है. 

तीसरे दिन मां चंद्रघंटा  

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने का विधान है. नवरात्रि में तीसरे दिन की पूजा का अत्याधिक महत्व है. मान्यता है कि माता चन्द्रघंटा की उपासना लोक और परलोक दोनों के लिए परमकल्याणकारी और सद्गति देने वाली है. इनका रूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है. मां चंद्रघण्टा को धूप, दीप, रोली, चंदन, अक्षत अर्पित कर लाल रंग के पुष्प और लाल सेब चढ़ाना चाहिए.  मां चंद्रघण्टा को दूध या दूध की खीर का भोग लगाने के भी मान्यता है.  

चौथे दिन मां कुष्मांडा देवी  

मां दुर्गा अपने चतुर्थ स्वरूप में कुष्मांडा के नाम से जानी जाती हैं. नवरात्रि के चौथे दिन आयु, यश, बल व ऐश्वर्य को प्रदान करने वाली भगवती कुष्मांडा की उपासना-आराधना का विधान है. संस्कृत भाषा में कुष्मांडा को कुम्हड़ कहते हैं. बलियों में कुम्हड़े की बलि इन्हें सर्वाधिक प्रिय है. इस कारण से भी मां कुष्मांडा कहलाती है. अपने मनोरथ की कामना के लिए दीप प्रज्ज्वलित कर पीले पुष्प लेकर मां कुष्मांडा की पूजा -अर्चना की जाती है. इस दिन मां को मालपुआ का नैवेद्य अर्पित करना चाहिए. 

पांचवें दिन मां स्कंदमाता  

नवरात्र का पांचवां दिन स्कंदमाता की उपासना के दिन के रूप में जाना जाता है. मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी हैं. ऐसी मान्यता है कि देवी स्कंदमाता को सफेद रंग बेहद ही पसंद है जो शांति और सुख का प्रतीक है. देवी की पूजा से बुध ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं. यह देवी अग्नि और ममता की प्रतीक मानी जाती हैं. नवरात्रि के पांचवे दिन माता स्कंदमाता को केले का भोग लगाना चाहिए. इससे व्यक्ति के बिजनेस, करियर में उन्नति होती है और हर क्षेत्र में सफलता मिलती है.  

छठा दिन मां कात्यायनी 

नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाती है. माता का यह स्वरूप बहुत करुणामयी माना जाता है, जिसे उन्होंने भक्तों की तपस्या को सफल करने के लिए धारण किया था. मान्यता है कि मां ने महर्षी कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर पुत्री के रूप में उनके घर जन्म लिया. मां कात्यायनी की पूजा के लिए पीले या लाल रंग के वस्त्र के साथ पीले रंग के फूलों चढ़ाने चाहिए. साथ कच्ची हल्दी की गांठ भी अर्पित करनी चाहिए. इस दिन मां को शहद का भोग लगाना शुभ माना जाता है.

सातवें दिन मां कालरात्रि 

चैत्र नवरात्रि का सातवें दिन मां काली की पूजा अर्चना की जाती है. देवी के नौ स्वरूप में से एक कालरात्री का रूप काफी रौद्र है लेकिन उनका दिल बेहद ही कोमल है. मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए श्वेत या लाल वस्त्र धारण करें. देवी कालरात्रि की पूजा ब्रह्ममुहूर्त में ही की जाती है. वहीं तंत्र साधना के लिए तांत्रिक मां की पूजा आधी रात में करते है. मां कालरात्रि को लाल फूल अर्पित कर मां को काली मिर्च कृष्णा तुलसी या काले चने का भोग लगाया जाता है. वैसे नकारात्मक शक्तियों से बचने के लिए आप गुड़ का भोग भी लगा सकते हैं.

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आठवें दिन मां महागौरी  

नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा का आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा करने का विधान है. महागौरी की पूजा करने से जीवन में किए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि महागौरी की पूजा अर्चना करने से माता अपने भक्तों पर जीवन भर कृपा करती है. हिंदू शास्त्र के अनुसार, इस दिन महागौरी की पूजा के साथ कन्या भोजन कराने से जगदंबिका  सभी मनोकामना को शीघ्र पूर्ण कर देती है.  इसके बाद माता महागौरी को नारियल के साथ पांच तरह के मिष्ठान और फल का भोग लगाने की भी मान्यता है.  

नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री  

नवरात्रि के नौवें दिन देवी दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा और अर्चना की जाती है. जैसा कि इनके नाम से ही स्पष्ट हो रहा है कि यह सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली देवी हैं. ऐसा विश्वास है कि इनकी पूजा पूरे विधि विधान के साथ करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री को हलवा, पूड़ी और खीर का भोग लगाना शुभ माना जाता है. इस दिन ये भोग लगाने से मां की कृपा हमेशा जातक के ऊपर बनी रहती है. इस दिन कमल के पुष्प पर बैठी हुई देवी सिद्धिदात्री का ध्यान करना चाहिए और विभिन्न प्रकार के सुगंधित पुष्प उनको अर्पित करने चाहिए. साथ ही इस दिन देवी को शहद अर्पित करना चाहिए और व्रत के अंतिम दिन सभी देवी देवता का नाम ले कर हवन भी करना चाहिए.

(आरती राय की रिपोर्ट)

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Navratri 2022 dates worship method prasad
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Navratri 2022: नवरात्रि के दौरान ऐसे करें पूजा
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