डीएनए हिंदी : Navratri 2022 Kalash Sthapana Muhurat and Vidhi- हिंदू धर्म में मान्यता है कि कोई भी शुभ काम शुरू करने से पहले या फिर कोई पूजा पाठ त्योहार शुरू होने से पहले घट यानी कलश की स्थापना (Kalash Sthapana) की जाती है, इससे घर में सुख-समृद्धि आती है और काम अच्छे से संपन्न होता है. नवरात्रि में भी कलश स्थापना का एक खास महत्व है, कलश स्थापना के दिन से ही नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है.
मान्यता है कि कलश में सभी ग्रह,नक्षत्रों और तीर्थों का निवास होता है. इनके अलावा कलश में भगवान ब्रह्मा,विष्णु,शिव समेत सभी नदियों,धार्मिक स्थानों और तैतीस कोटि देवी-देवता कलश में विराजते हैं. इसलिए इसकी स्थापना के बाद ही नवरात्रि के व्रत शुरू होते हैं. पितृपक्ष (Pitru Paksha 2022 End Date) खत्म होते ही नवरात्रि शुरू हो रहे हैं. 26 सितंबर को नवरात्र के कलश की स्थापना की जाएगी.
कलश स्थापना का महत्व (Significance of Kalash Sthapana)
हिंदू धर्म में कोई भी धार्मिक अनुष्ठान और विशेष अवसरों पर कलश स्थापना को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. घर में प्रवेश करने से पहले भी कलश की स्थापना और पूजा होती है. नवरात्रि के पहले दिन यानि प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना के साथ देवी का आह्वान करते हुए 9 दिनों की पूजा शुरू हो जाती है. कलश स्थापना से घर में फैली सभी तरह की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और पूजा अच्छे से संपन्न होती है.
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कलश स्थापना का शुभ समय और मुहूर्त (Kalash Sthapana Shubh Muhurat or Timing)
इस साल आश्विन नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि 26 सितंबर 2022 को सुबह 03 बजकर 23 मिनट से शुरू हो जाएगी जो 27 सितंबर 2022 को सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर खत्म होगी. ऐसे में इस शारदीय नवरात्रि पर मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 26 सितंबर 2022 को सुबह 6 बजकर 11 मिनट से लेकर 7 बजकर 51 मिनट तक रहेगा, इसके अलावा इस दिन अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 54 मिनट पर किया जा सकता है. नवरात्रि के नौ दिनों तक मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है. मां दुर्गा के अलग अलग रूपों का अलग अलग महत्व है.
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कलश की पूजा कैसे करें (How to do kalash puja in hindi)
नवरात्रि पर सभी तरह के शुभ कार्य किए जा सकते हैं. मां दुर्गा इस दिन भक्तों के घर आती हैं ऐसे में शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं और दरवाजे पर आम और अशोक के पत्ते का तोरण लगाएं.
नवरात्रि में माता की मूर्ति को लकड़ी की चौकी या आसन पर स्थापित करना चाहिए,जहां मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें वहां पहले स्वास्तिक का चिह्न बनाएं. उसके बाद रोली और अक्षत से टीकें और फिर वहां माता की मूर्ति को स्थापित करें. उसके बाद विधिविधान से माता की पूजा करें.
उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण को पूजा के लिए सर्वोत्तम स्थान माना गया है. आप भी अगर हर साल कलश स्थापना करते हैं तो आपकी इसी दिशा में कलश रखना चाहिए और माता की चौकी सजानी चाहिए.
शास्त्रों में कलश पर नारियल रखने के विषय में बताया गया है कि “अधोमुखं शत्रु विवर्धनाय,ऊर्धवस्य वस्त्रं बहुरोग वृध्यै। प्राचीमुखं वित विनाशनाय,तस्तमात् शुभं संमुख्यं नारीलेलंष्।”यानी कलश पर नारियल रखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि नारियल का मुख नीचे की तरफ न हो. चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर ही मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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Navratri 2022 Kalash Sthapana Vidhi: कब है घट स्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और नवरात्रि में क्या है कलश का महत्व