डीएनए हिंदी: देशभर में बहुत से ऐसे मंदिर हैं जिनके पीछे कई सारी मान्यताएं हैं. कई मंदिर तो अपनी अनोखी मान्यताओं के लिए ही जाने जाते हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर (Indian Temples) के बारे में बताने वाले हैं जिसके बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे. दरअसल, हम देवभूमी (Devbhumi Uttarakhand) कहें जाने वाले उत्तराखंड के एक मंदिर (Uttarakhand Temple) के बारे में बताने वाले हैं. यहां पर एक ऐसा मंदिर है जहां पर श्रद्धालुओं को मंदिर में जाने की अनुमती तक नहीं है. मंदिर में देवी-देवताओं के दर्शन के लिए भक्तों को न जाने की बात बहुत ही अजीब लगती है लेकिन इसके पीछे एक कारण है तो चलिए आपको इस बारे में बताते हैं.
आंखों पर पट्टी बांधकर करते हैं पूजा
उत्तराखंड के इस मंदिर (Uttarakhand Temple) में भगवान के दर्शन की इजाजत नहीं है इसी वजह से पुजारी भी आंख पर पट्टी बांधकर पूजा करते हैं. यह मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले (Temple Uttarakhand Chamoli) के देवाल ब्लॉक के वांण में स्थित है. यह मंदिर लाटू मंदिर (Uttarakhand Latu Devta Temple) के नाम से जाना जाता है. मंदिर में लाटू देवता ही पूजा की जाती है. मंदिर के पास के स्थानीय लोग लाटू देवता को उत्तराखंड की नंदा देवी का धर्म भाई मानते हैं.
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इस वजह से आंख पर पट्टी बांधकर की जाती है पूजा
स्थानीय लोगों के अनुसार, इस मंदिर में रागराज अपनी मणी के साथ मौजूद है. मणी की तेज रोशनी से कोई भी अंधा हो सकता है. यहीं कारण हैं कि पुजारी भी पट्टी बांधकर पूजा करते हैं. ऐसा भी माना जाता है कि पुजारी की गंध नागराज तक और नागराज की गंध पुजारी तक नहीं पहुंचनी चाहिए इसलिए पुजारी नाक और मुंह पर भी पट्टी बांधते हैं.
इस दिन खुलते हैं मंदिर के द्वार और ऐसे की जाती है पूजा
उत्तराखंड के इस लाटू मंदिर के कपाट साल में एक बार खुलते हैं. यह मंदिर वैशाख माह की पूर्णिमा के मौके पर खुलता है. सभी श्रद्धालु देवता के दूर से दर्शन करते हैं और पुजारी आंखों पर पट्टी बांधकर पूजा करते हैं. लाटू मंदिर में विष्णु सहस्त्रनाम और भगवती चंडिका का पाठ किया जाता है और मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं.
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दर्शन के लिए ऐसे पहुंचे लाटू देवता मंदिर
लाटू देवता के दर्शन के लिए आपको उत्तराखंड के चमोली पहुंचना है. अगर आप दिल्ली से बस यात्रा के जरिए लाटू देवता के दर्शन के लिए जा रहे हैं तो आपको ऋषिकेश से होते हुए करीब 465 किलोमीटर तक का सफर करना पड़ेगा. हवाई यात्रा जाने के लिए आपको पंतनगर हवाई अड्डे पर पहुंचना है. हवाई अड्डे से आप टैक्सी के जरिए चमोली पहुंच सकते हैं. चमोली से यह मंदिर करीब 27 किलोमीटर दूर हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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इस मंदिर में आंख-मुंह पर पट्टी बांधकर होती है पूजा, रहस्य जानकर हो जाएंगे हैरान