डीएनए हिंदीः गरुड़ पुराण सहित कई धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि यदि पंचक में किसी की मृत्यु हो जाए तो उसके साथ उसी के कुल खानदान में पांच अन्य लोगों की मौत भी हो जाती है. पंचक 5 तरह के होते हैं. इसमें किस पंचक में मृत्यु होना सबसे बुरा माना जाता है और कैसे इससे बचा जा सकता, चलिए ज्योतिषाचार्य प्रीतिका मोजुमदार से जानें.
पंचक पांच प्रकार के होते हैं:
रोग पंचक, राज पंचक, अग्नि पंचक, मृत्यु पंचक और चोर पंचक. पंचक जिस दिन लगता है उस अनुसार पंचक लगते हैं. कुछ नक्षत्रों या ग्रह संयोग में शुभ कार्य करना बहुत ही अच्छा माना जाता है, वहीं कुछ नक्षत्रों में कोई विशेष कार्य करने की मनाही रहती है. धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती भी ऐसे ही पांच नक्षत्रों का एक समूह है. धनिष्ठा के प्रारंभ होने से लेकर रेवती नक्षत्र के अंत समय को पंचक कहते हैं. पंचक 5 दिनों तक होता है. इस बार सोमवार को पंचक लगा है और ये राज पंचक है. चलिए जान लें कि कब- कौन सा पंचक लगता है.
आज से लग गया पंचक, शुभ या अशुभ कैसा पड़ेगा प्रभाव, कौन सा योग होता है सबसे खतरनाक
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचक 5 प्रकार के होते हैं. आइए जानें...
रोग पंचक : रविवार को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है. इसके प्रभाव से ये पांच दिन शारीरिक और मानसिक परेशानियों वाले होते हैं. इस पंचक में किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं करने चाहिए. हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना गया है.
राज पंचक : सोमवार को शुरू होने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है. ये पंचक शुभ माना जाता है. इसके प्रभाव से इन पांच दिनों में सरकारी कामों में सफलता मिलती है. राज पंचक में संपत्ति से जुड़े काम करना भी शुभ रहता है.
अग्नि पंचक : मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है. इन पांच दिनों में कोर्ट-कचहरी और विवाद आदि के फैसले, अपना हक प्राप्त करने वाले काम किए जा सकते हैं. इस पंचक में अग्नि का भय होता है. ये अशुभ होता है. इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है. इनसे नुकसान हो सकता है.
मृत्यु पंचक : शनिवार को शुरू होने वाला पंचक मृत्यु पंचक कहलाता है. नाम से ही पता चलता है कि अशुभ दिन से शुरू होने वाला ये पंचक मृत्यु के बराबर परेशानी देने वाला होता है. इन पांच दिनों में किसी भी तरह के जोखिम भरे काम नहीं करना चाहिए. इसके प्रभाव से विवाद, चोट, दुर्घटना आदि होने का खतरा रहता है. और अगर इस पंचक में किसी की मौत हो जाए तो वह अपने परिवार या कुल से 5 और लोगों के मृत्यु का कारक बनता है. पंचक में ये सबसे कष्टकारी माना जाता है.
चोर पंचक : शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है. विद्वानों के अनुसार, इस पंचक में यात्रा करने की मनाही है. इस पंचक में लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के सौदे भी नहीं करने चाहिए. मना किए गए कार्य करने से धन हानि हो सकती है. इसके अलावा बुधवार और गुरुवार को सोमवार और मंगलवार के पंचक को माना जा सकता है.
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👉शास्त्र-कथन है-
'धनिष्ठ-पंचकं ग्रामे शद्भिषा-कुलपंचकम्.
पूर्वाभाद्रपदा-रथ्याः चोत्तरा गृहपंचकम्.
रेवती ग्रामबाह्यं च एतत् पंचक-लक्षणम्..'
धनिष्ठा से रेवती पर्यंत इन पांचों नक्षत्रों की क्रमशः पांच श्रेणियां हैं-
ग्रामपंचक, कुलपंचक, रथ्यापंचक, गृहपंचक एवं ग्रामबाह्य पंचक.
ऐसी मान्यता है कि यदि धनिष्ठा नक्षत्र में जन्म-मरण हो तो उस गांव-नगर में पांच और जन्म-मरण होता है. शतभिषा नक्षत्र में हो तो उसी कुल में, पूर्वा नक्षत्र में हो तो उसी मुहल्ले-टोले में, उत्तरा नक्षत्र में हो तो उसी घर में और रेवती नक्षत्र में हो तो दूसरे गांव-नगर में पांच बच्चों का जन्म या पांच लोगों की मृत्यु संभव है.
मान्यतानुसार किसी नक्षत्र में किसी एक के जन्म से घर आदि में पांच बच्चों का जन्म तथा किसी एक व्यक्ति की मृत्यु होने पर पांच लोगों की मृत्यु होती है. मरने का कोई समय नहीं होता. ऐसे में पांच लोगों का मरना कुछ हद तक संभव है, परंतु उत्तरा भाद्रपदा को गृहपंचक माना गया है और प्रश्न है कि किसी घर की पांच औरतें गर्भवती होंगी तभी तो पांच बच्चों का जन्म संभव है.
पंचक का उपाय:-
'प्रेतस्य दाहं यमदिग्गमं त्यजेत् शय्या-वितानं गृह-गोपनादि च.+'-( मुहूर्त-चिंतामणि)
पंचक में मरने वाले व्यक्ति की शांति के लिए गरुड़ पुराण में उपाय भी सुझाए गए हैं. गरुड़ पुराण के अनुसार पंचक में शव का अंतिम संस्कार करने से पहले किसी योग्य विद्वान पंडित की सलाह अवश्य लेनी चाहिए. यदि विधि अनुसार यह कार्य किया जाए तो संकट टल जाता है. दरअसल, पंडित के कहे अनुसार शव के साथ आटे, बेसन या कुश (सूखी घास) से बने पांच पुतले अर्थी पर रखकर इन पांचों का भी शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया जाता है. ऐसा करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है.
दूसरा यह कि गरुड़ पुराण अनुसार अगर पंचक में किसी की मृत्यु हो जाए तो उसमें कुछ सावधानियां बरतना चाहिए. सबसे पहले तो दाह-संस्कार संबंधित नक्षत्र के मंत्र से आहुति देकर नक्षत्र के मध्यकाल में किया जा सकता है. नियमपूर्वक दी गई आहुति पुण्यफल प्रदान करती हैं. साथ ही अगर संभव हो दाह संस्कार तीर्थस्थल में किया जाए तो उत्तम गति मिलती है.
नोट- पंचक के उपाय योग्य विद्वान पंडित द्वारा ही कराना चाहिए, इससे विपदा से बचा जा सकता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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