डीएनए हिंदीः हिंदू धर्म (Hindu Dharma) में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग (Shivling) पर दूध और जल चढ़ाया जाता है. सभी मंदिर और शिवालयों में शिवलिंग स्थापित होते हैं. शिवलिंग को सभी लोग पूजते हैं. शिवलिंग (Shivling) का आकार मनुष्य के मस्तिष्क के निचले भाग में मौजूद एक हिस्से की तरह होता है जिसे मेडुला ओबॉंगाटा (Medulla Oblongata) कहते हैं. सांस लेते और छोड़ते समय गर्दन के पीछे मेडुल्ला ओबॉंगाटा (Medulla Oblongata) में कंपन होता है. यह मस्तिष्क के नीचे और रीढ़ की हड्डी के ऊपर होता है. यह रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क को जोड़ता है.
शिवलिंग के आकार का होता है मेडुला ओबॉंगाटा (Medulla Oblongata Shape Like Shivling)
मनुष्य के शरीर में शिवलिंग के आकार की यह सरंचना श्वास लेने, हृदय गति और पांचन को नियंत्रित करने के लिए कार्य करती है. इसे मज्जा भी कहते हैं. जिस तरह शिवलिंग की पूरी परिक्रमा नहीं की जाती है. इसे लांघना या भेदना मना है इसी प्रकार मनुष्य के शरीर में मौजूद इस अंग को भी नहीं भेदा जा सकता है यानी मेडुल की सर्जरी नहीं की जा सकती है. इस प्रकार इसे यह मनुष्य के अंदर मौजूद एक शिवलिंग की तरह माना जाता है. शिवलिंग के आकार का यह मेडुला सभी लोगों के अंदर होता है. ऐसा भी माना जाता है कि शिवालय में जाते ही इस अंग में कंपन शुरू हो जाता है.
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शिवलिंग की पूजा का महत्व (Shivling Puja)
शिवलिंग की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. शिव की कृपा से भक्तों को धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. शिवलिंग पर अभिषेक करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. शिवलिंग पर दूध, धतूरा, केवड़ा और बेलपत्र चढ़ाने से सभी रोग-दोष दूर होते हैं. हिंदू धर्म में श्रीलिंग पुराण की मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग के मूल में ब्रह्मा, मध्य में भगवान विष्णु और ऊपरी भाग में महादेव विराजमान होते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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मस्तिष्क के इस भाग की तरह होता है शिवलिंग का आकार, जानें इसका कार्य और महत्व