डीएनए हिंदी: जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे मकर संक्रांति के त्योहार के रूप में मनाया जाता है. यह 14 जनवरी को मनाया जाता है. इस दिन को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग मान्यताएं हैं. कहीं दही चूड़ा खाया जाता है तो वहीं कुछ लोग इसे खिचड़ी संक्रांति के तौर पर मनाते हैं और घी खिचड़ी खाते हैं. उत्तराखंड में खाई जाने वाली खिचड़ी की खासियत यह होती है कि इसमें काले तिल और काली उड़द की दाल इस्तेमाल की जाती है. इसी तरह संक्रांति के मौके पर काले तिल के लड्डू भी बनाए जाते हैं. क्या आपने सोचा है कि काले तिलों को ही इतना महत्व क्यों दिया जाता है?
शनि और सूर्य से है कनेक्शन
धर्म और ज्योतिष के अनुसार मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ खाने, दान करने का संबंध सूर्य और शनि देव से है. काले तिल शनि से और गुड़ सूर्य से जुड़ा है. मकर संक्रांति के दिन ये चीजें खाने और दान करने से शनि और सूर्य दोनों की कृपा होती है. जिंदगी में सफलता पाने के लिए इन दोनों ग्रहों की कृपा बेहद जरूरी है. मकर संक्रांति के दिन तिल-गुड़ खाने से घर में सुख-समृद्धि भी आती है.
सूर्य ने दिया था शनि को वरदान
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार सूर्य देव ने गुस्से में आकर अपने बेटे शनि देव का घर 'कुंभ' जला दिया था. बता दें कि शनि कुंभ राशि के स्वामी हैं और वह उनका घर माना जाता है. इसके बाद जब सूर्य देव, शनि देव के घर गए तो देखा कि काले तिल के अलावा घर में रखी सभी चीजें जलकर खाक हो गई थीं तब शनि देव ने अपने पिता सूर्य का स्वागत उन्हीं काले तिल से किया. यह देखकर सूर्य प्रसन्न हो गए और उन्होंने शनि देव को रहने के लिए एक और घर 'मकर' दिया. साथ ही वरदान दिया कि जब भी सूर्य मकर राशि में आएंगे, वे उनका घर धन-धान्य से भर देंगे. साथ ही इस दौरान जो लोग काले तिल और गुड़ सूर्य देव को अर्पित करेंगे, उन्हें सूर्य और शनि दोनों की कृपा से जीवन में खूब तरक्की मिलेगी.
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मकर संक्रांति पर क्यों खाए जाते हैं काले तिल के लड्डू ? शनिदेव से क्या है कनेक्शन ?