डीएनए हिंदी: महाशिवरात्रि पर कई उपायों (Mahashivratri Upay 2023) को करने से आप समस्याओं और परेशानियों को दूर कर सकते हैं. इस साल महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2023) 18 फरवरी 2023 को मनाई जाएगी. सिर्फ महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2023) ही नहीं बल्कि महाशिवरात्रि से पहले के 9 दिन भी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. इन दिनों शिव नवरात्रि (Shiv Navratri 2023) का मनाई जाती है. शिव नवरात्रि (Shiv Navratri 2023) के दौरान भी आप खास उपाय करके समस्याओं को दूर कर सकते हैं. शिव नवरात्रि के समय 9 दिनों तक भगवान शिव और मां पार्वती के विवाह से संबंधित परंपराएं निभाई जाती हैं. बड़े शिव मंदिरों में यह परंपराएं निभाई जाती हैं. आज हम आपको शिव नवरात्रि (Shiv Navratri 2023) के दौरान धन लाभ से जुड़े उपायों के बारे में बताने वाले हैं.
शिव नवरात्रि में 9 दिनों करें ये उपाय (Mahashivratri Upay)
भगवान शिव की पूजा में बेल पत्र जरूर चढ़ाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि बेल पत्र के बिना शिव जी की पूजा अधूरी मानी जाती है. शिवपुराण के अनुसार, माना जाता है कि बिल्व वृक्ष की जड़ में भगवान शिव का वास होता है. बिल्व वृक्ष में कुबेर देव का भी निवास होता है. कुबेर धन के देवता है इसलिए आपको बिल्व वृक्ष के नीचे धन प्राप्ति के इस उपाय को करना चाहिए. धन प्राप्ति और आर्थिक समस्याओं को दूर करने के लिए आपको
रोज इस वृक्ष के नीचे घी का दीपक जलाना चाहिए. हालांकि अगर आप ये उपाय रोज नहीं कर सकते हैं तो आपको शिव नवरात्रि के नौ दिनों ये उपाय जरूर करना चाहिए.
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इस तरह करें उपाय
शिव नवरात्रि पर बिल्व वृक्ष के नीचे आपको ये उपाय करना चाहिए. इस साल शिव नवरात्रि 18 फरवरी को है और इससे पहले 10 फरवरी से 18 फरवरी तक शिव नवरात्रि मनाई जाएगी. आपको शिव नवरात्रि के दौरान प्रतिदिन शाम के स्नान के बाद बिल्व वृक्ष पर जल चढ़ाना चाहिए. आपको जल चढ़ाने के बाद वृक्ष के नीचे गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए. बिल्व वृक्ष के नीचे दीपक जलाने के बाद आपको भगवान शिव और कुबेर देवता से अपनी इच्छा पूर्ति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए. आप इस उपाय से धन के देवता कुबेर देव को प्रसन्न कर सकते हैं. कुबेर देव प्रसन्न होकर आपको जेब कभी भी खाली नहीं होने देंगे.
शिवपुराण में भी है बिल्व वृक्ष का वर्णन
हिंदू धर्म में बिल्व वृक्ष को पूजनीय माना जाता है. शिवपुराण में भी इसका वर्णन मिलता है. शिवपुराण के इस श्लोक में बिल्व वृक्ष का वर्णन है.
"बिल्वमूले महादेवं लिंगरूपिणमव्ययम्
यः पूजयति पुण्यात्मा स शिवं प्राप्नुयाद्
बिल्वमूले जलैर्यस्तु मूर्धानमभिषिञ्चति
स सर्वतीर्थस्नात: स्यात्स एव भुवि पावन:"
इसका अर्थ है कि "बिल्व के मूल में लिंगरूपी अविनाशी महादेव का पूजन जो भी पुण्यात्मा व्यक्ति करेंगा, उसका कल्याण होगा. शिवजी के ऊपर बिल्वमूल में जल चढ़ाने से सब तीर्थो में स्नान करने का फल मिल जाता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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