Mahakumbh Mela 2025: कुंभ मेला विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक व सांस्कृति मेला है, जिसका इतिहास समुद्र मंथन के आदिकाल से जुड़ा है. धर्म ग्रंथों में अमृत कुंभ (अमृत भरा घड़ा) की कथा मिलती है. कहा जाता है समुद्र मंथन में 14 प्रकार के रत्न उत्पन्न हुए थे. इस मंथन में अमृत भी उत्पन्न हुआ था, जिसके बंटवारे के लिए देवताओं और दैत्यों के बीच महा-संग्राम छिड़ गया था. पौराणिक कथाओं के अनुसार अमृत-कुंभ के लिए स्वर्ग में 12 दिन तक संघर्ष चलता रहा, जिससे कुंभ से 4 स्थानों पर अमृत की कुछ बूंदें गिर गईं. जिन स्थानों पर अमृत की बूंदें गिरीं, वह स्थान आज हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक के नाम से जाने जाते हैं. यहीं पर कुंभ का आयोजन होता है. कुंभ 4 प्रकार के होते हैं. पहला महाकुंभ मेला महाकुंभ मेला हर 12 वर्ष पूर्ण कुंभ मेले के बाद आता है. दूसरा पूर्ण कुंभ मेला होता है. यह 4 कुभ मेला स्थानों पर आयोजित किया जाता है. यह 12 साल में एक बार आयोजित होता है. तीसरा अर्धकुंभ मेला यह भारत में हर 6 साल में सिर्फ 2 स्थानों पर आयोजित होता है. चौथा माघ कुंभ मेला हर साल सिर्फ प्रयागराज में हिंदू कैलेडर के अनुसार आयोजित किया जाता है. 
 
कुंभ मेले की शुरुआत कब हुई, इसकी किसी ग्रंथ में कोई प्रमाणिक जानकारी नहीं है. कुछ विद्वानों की मानें तो कुंभ मेला 3464 ईसा पूर्व में शुरू हुआ था, इसके अलावा चीनी यात्री ह्वेनसांग की पुस्तक में 'कुंभ-मेला' का जिक्र मिलता है. 629 ईसा पूर्व में हुई अपनी 'भारतयात्रा' यात्रा के विवरण में उन्होंने सम्राट हर्षवर्द्धन के राज्य प्रयाग में हिंदू मेले का जिक्र किया है.

प्रथम शाही स्नान - पौष पूर्णिमा 13 जनवरी 2025

महाकुंभ का आगाज 13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा के दिन होने जा रहा है. महाकुंभ का आयोजन हर 12 वर्ष में एक बार किया जाता है. इस साल महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में त्रिवेणी संगम तट पर होगा. इस दिन महाकुंभ का पहला शाही स्नान है. इसे पौष का स्नान भी कहा जाता है. महाकुंभ में पौष शाही स्नान का विशेष महत्व होता है. पौष पूर्णिमा का स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है. महाकुंभ में शाही स्नान करने से व्यक्ति को अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है. यह शाही स्नान साधु-संतों और नागा साधुओं के लिए विशेष होता है.

द्वितीय शाही स्नान - मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम तट पर महाकुंभ का आयोजन हो रहा है. महाकुंभ का मेला 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलेगा. प्रयागराज का संगम स्नान अत्यंत शुभ माना जाता है. महाकुंभ में शाही स्नान का खास महत्व होता है. 14 जनवरी 2025 को महाकुंभ मेले में दूसरा शाही स्नान होगा. यह दूसरा शाही स्नान मकर संक्रांति के दिन होगा. महाकुंभ मेले के दौरान मकर संक्रांति पर शाही स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलेगी और अनंत पुण्य की प्राप्ति होगी. कुंभ में शाही स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.

तीसरा शाही स्नान - मौनी अमावस्या 29 जनवरी 2025

महाकुंभ हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और पवित्र मेला है, जो हर 12 साल में चार अलग-अलग जगहों पर आयोजित किया जाता है. साल 2025 में यह मेला यूपी के प्रयागराज में आयोजित होने जा रहा है. महाकुंभ का सबसे महत्वपूर्ण पर्व शाही स्नान होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं. महाकुंभ 2025 का तीसरा शाही स्नान 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या के दिन होगा. मौनी अमावस्या का दिन स्नान और दान के लिए बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित करते है.  धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन दिनों देवता धरती पर आते हैं और पवित्र नदियों में स्नान करते हैं. मान्यता है कि जो व्यक्ति इन दिनों स्नान करता है उसे देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

चौथा शाही स्नान - बसंत पंचमी  3 फरवरी  2025

महाकुंभ 2025 में चौथा शाही स्नान 3 फरवरी 2025 को बसंत पंचमी के पावन अवसर पर होगा. हिंदू धर्म में इस स्नान का विशेष महत्व है. बसंत पंचमी को वसंत ऋतु के आगमन  का प्रतीक माना जाता है. इस दिन माता सरस्वती की पूजा की जाती है जो ज्ञान और कला की देवी हैं. मान्यता है कि इस दिन स्नान करने से ज्ञान में वृद्धि होती है. पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. चौथा शाही स्नान बसंत पंचमी के दिन होने से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बसंत पंचमी के दिन सूर्य उत्तरायण हो जाता है और इसी दिन से दिन बड़े होने लगते हैं और स्नान करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है.

पांचवा शाही स्नान - माघी पूर्णिमा 12 फरवरी 2025

महाकुंभ 2025 में पांचवा शाही स्नान माघी पूर्णिमा पर होगा. इस स्नान का विशेष महत्व है. मान्यता है कि माघी पूर्णिमा पर देवताओं का धरती पर आगमन होता है. देवता मनुष्य रूप धारण कर त्रिवेणी संगम में स्नान दान करते हैं. इस दिन त्रिवेणी संगम में स्नान करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही इस दिन पूजा-पाठ और दान करने वालों की सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती है. मान्यताओं के अनुसार पौष पूर्णिमा पर शुरू होने वाला कल्पवास माघी पूर्णिमा पर खत्म हो जाता है.

छठा शाही स्नान-  महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025 का महत्व

महाकुंभ 2025 में छठा शाही स्नान महाशिवरात्रि के अवसर 26 फरवरी 2025 को होगा. इसी दिन महाशिवरात्रि होने के साथ ही महाकुंभ का समापन भी होगा. हिंदू धर्म महाशिवरात्रि बड़ा त्योहार माना जाता है. इस दिन शाही स्नान करना बेहद पवित्र होता है. मान्यता है कि महाशिवरात्रि भगवान शिव और माता पार्वती के मिलने का प्रतीक है. हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के जलाभिषेक को बहुत ही अहम माना गया है. जो भी इस दिन शाही स्नान के बाद महादेव का जलाभिषेक और पूजन व व्रत करता है. उस पर भोलेनाथ की कृपा बरसती है.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी सामान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)   

खबर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें  हमारे गूगलफेसबुकxइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.

Url Title
mahakumbh mela 2025 shahi snan date and importance shahi snan or daan ka mehatav mahakumbh ki shuruwat
Short Title
कैसे हुई कुंभ मेले की शुरुआत, जानें इसके शाही स्नान से लेकर स्नान दान का महत्व 
Article Type
Language
Hindi
Section Hindi
Created by
Updated by
Published by
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Mahakumbh Mela 2025
Date updated
Date published
Home Title

कैसे हुई कुंभ मेले की शुरुआत, जानें इसके शाही स्नान से लेकर स्नान दान का महत्व

Word Count
1010
Author Type
Author