Mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश प्रयागराज में महाकुंभ का महाउत्सव चल रहा है. महाकुंभ मेला पवित्र त्रिवेणी संगम के तट पर लग रहा है. पिछले 10 दिनों में करोड़ों लोग संगम में स्नान कर चुके हैं. रोजाना लाखों की संख्या में लोग त्रिवेणी संगम में स्नान कर रहे हैं. यह महाकुंभ का 13 जनवरी 2025 को शुरू हुआ था जो 26 फरवरी 2025 तक चलेगा. इस समय हजारों श्रद्धालु त्रिवेणी के तट पर स्नान, दान, जप, तप करते दिखते हैं.
महाकुंभ में स्नान से पहले श्रद्धालु पूजा करते हैं धार्मिक मान्यताओं के हिसाब से संगम में आस्था की डुबकी (Triveni Sangam Snan) लगाने से पहले किस देवता की पूजा करनी चाहिए. इस बारे में लोगों के मन में सवाल है. त्रिवेणी संगम में स्नान से पहले किस देवता की आराधना (Mahakumbh Sangam Snan) करनी चाहिए. चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं. ऐसा करने से आपको स्नान का दोगुना पुण्य मिलेगा.
महाकुंभ त्रिवेणी संगम में स्नान से पहले किस देवता की करें पूजा?
आप महाकुंभ में त्रिवेणी संगम में स्नान के लिए जा रहे हैं तो स्नान करने से पहले वरुण देव की आराधना अवश्य करें. वरुण देवता को जल और समुद्र का देवता माना जाता है. बिना वरुण देवता की पूजा के गंगा सन्ना का महत्व प्राप्त नहीं होता है. वेदों पुराणों में भी वरुण देव की महिमा का वर्णन मिलता है. आप स्नान से पहले वरुण देव का आशीर्वाद लें इसके बाद ही संगम त्रिवेणी में स्नान के लिए प्रवेश करें. आपको भगवान विष्णु की पूजा भी करनी चाहिए. उन्हें पुण्डरीकाक्ष भी कहा जाता है जिसका अर्थ कमल के समान नेत्र वाले होता है.
त्रिवेणी संगम में स्नान का महत्व
त्रिवेणी संगम में गंगा, यमुना और सरस्वती तीन नदियों का संगम है. यहां पर स्नान करने से तीनों नदियों में स्नान करने का पुण्य प्राप्त होता है. गंगा में स्नान से मोक्ष प्राप्ति होती है. यमुना पवित्रता और प्रेम का प्रतीक मानी जाती है. सरस्वती नदी को ज्ञान और विद्या की देवी माना गया है. त्रिवेणी संगम में स्नान करना विशेष पुण्यकारी माना गया है.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी सामान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.
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महाकुंभ जा रहे तो जान लें स्नान से पहले किस देवता की करनी चाहिए पूजा? मिलेगा दोगुना फल