Naga Sadhu : सनातन धर्म के अंदर कई अलग अलग साधु होते हैं. इनमें नागा साधुओं की परंमपराएं एक दम अलग होती हैं. यह ऐसे ही जल्दी से दिखाई नहीं देते. नागा साधुओं की दुनिया पूरी तरह रहस्यमी होती है. ज्यादातर लोग इन्हें देखकर अचंभित हो जाते हैं, लेकिन नागा ऐसे ही नहीं बना जाता है. इनके कई नियम और कठिन जीवन शैली होती है. सालों का त्याग और खुद का श्राद्ध करने के बाद यह नागा साधु बनते हैं. इनमें भी अलग अलग अखाड़े और वर्णन होते हैं. इनके नियम बहुत ही कड़े और जीवन बेहद मुश्किलों भरा होता है. नागा साधुओं को दीक्षा देने के बाद उन्हें एक विशेष श्रेणी में रखा जाता है. इन्हीं में एक खूनी नागा साधु की श्रेणी होती है. खूनी नागा साधु धर्म की रक्षा का संकल्प लेते हैं. ये धर्म के लिए अपना खून बहाने से लेकर दूसरे का बहा देने के लिए हर समय तैयार रहते हैं. ये कुंभ में सबसे पहले स्नान करते हैं. आइए जानते हैं कब और कैसे खूनी नागा साधु बनते हैं. इनके उग्र होने से लेकर रक्षा के संकल्प तक की पूरी जानकारी...
कठिन तप के बाद बनते हैं नागा साधु
नागा साधु बनने के लिए भोग वासना त्याग से लेकर कई परीक्षाओं को पास करना होता है. यह परीक्षा महंतों के द्वारा ली जाती है. नागा साधु हरिद्वार से लेकर उज्जैन समेत कई जगहों पर दीक्षा दी जाती है. किसको कहां दीक्षा दी जाएगी. इसका फैसला महंतों के द्वारा किया जाता है. नागा साधु बनने से पूर्व व्यक्ति को शुरुआती तीन साल तक महंतों की सेवा करनी पड़ती है. इस दौरान उनके ब्रह्मचर्य परीक्षा होती है. इसमें निकलने पर महंतों द्वारा नागा साधुओं को दीक्षा दी जाती है. इनमें उज्जैन में दीक्षा लेने वालों को खूनी नागा साधु कहा जाता है. खूनी नागा साधु बनने के लिए कई रातों तक साधु को भगवान शिव के मंत्रों का जप करना होता है. इसके बाद अखाड़े के प्रमुख महामंडलेश्वर द्वारा विजया हवन करवाया जाता है और दीक्षा देकर साधु को नागा साधु बनाया जातार है.
ऐसा होता है खूनी नागा साधुओं का स्वभाव
उज्जैन में दीक्षा लेने वाले खूनी नागा साधुओं स्वभाव बहुत ही गुस्से वाला और उग्र होता है. हालांकि इनका किसी से बैर या मन में छल कपट नहीं होता, लेकिन यह धर्म की रक्षा के लिए हमेशा आगे रहते हैं. यह इसके लिए अपनी बलि देने और दूसरों की लेने से भी पीछे नहीं हटते. यह कहना गलत नहीं होगा कि खूनी नागा साधु योद्धाओं की तरह होते हैं.
13 जनवरी 2025 से होगी महाकुंभ की शुरुआत
महाकुंभ मेले की शुरुआत इस साल प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से शुरू होगी. इसमें नागा साधु सबसे पहले शाही स्नान करते हैं. इनके बाद दूसरे साधु और आम आदमी को नहाने की अनुमति मिलती है. इस बार महाकुंभ 26 फरवरी 2025 तक रहेगा.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी सामान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
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कब और कैसे बनते हैं खूनी नागा साधु, स्वभाव से उग्र और धर्म की रक्षा के लिए हमेशा रहते हैं सबसे आगे