डीएनए हिंदी: Maa Skandamata Sandhya Aarti- नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा होती है, माता कमल के आसन पर विराजमान हैं. इसी कारण उन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है. मां स्कंदमाता को पार्वती एवं उमा नाम से भी जाना जाता है. मां स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं. मां की पूजा आराधना करने से मनचाहा फल मिलता है. जैसे आप मां की पूजा सुबह करते हैं ठीक वैसे ही शाम को भी करें ताकि मां आप पर प्रसन्न हो.
मां की उपासना से परम शांति और सुख का अनुभव होता है. मां स्कंदमाता को श्वेत रंग प्रिय है, मां की उपासना में श्वेत रंग के वस्त्रों का प्रयोग करें,मां की पूजा के समय पीले रंग के वस्त्र धारण करें. मां को दूध से बनी सफेद रंग की मिठाई भोग में लगाएं
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पूजा का शुभ मुहूर्त (Puja Shubh Muhurat)
ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:37 से शुरू होकर 5:25 बजे तक है. अमृत कलाम शाम 6:18 बजे से शाम 7:51 बजे तक मनाया जाएगा.वहीं विजया मुहूर्त दोपहर 2:10 बजे से दोपहर 2:58 बजे के बीच है. धार्मिक ग्रंथ के अनुसार युग से युग में प्रत्येक नवरात्रि (Sharadiya Navratri) का महत्व अलग-अलग होता है. हालांकि, अधिकांश धार्मिक ग्रंथों का मानना है कि राक्षस महिषासुर को देवी दुर्गा के एक क्रूर रूप से मारा गया था. इसलिए, त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत की शुरुआत करता है.
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स्कंदमाता की आरती (Skandamata Sandhya Aarti)
जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता
सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैं
कई नामो से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा
कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा
हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये, तेरे भगत प्यारे भगति
अपनी मुझे दिला दो शक्ति, मेरी बिगड़ी बना दो
इन्दर आदी देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये, तुम ही खंडा हाथ उठाये
दासो को सदा बचाने आई, चमन की आस पुजाने आई
इन मंदिरों में राम की नहीं रावण की होती है पूजा, जानिए क्या है महत्व
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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Skandamata Sandhya Aarti: शाम को इस शुभ समय पर करें स्कंदमाता की आरती, ऐसे करें पूजा