डीएनए हिंदीः भगवान शिव के उग्र रूप महाकाल यानी काल भैरव हैं और ये भोले बाबा का रौद्र रूप माना जाता है. इस बार काल भैरव जयंती 16 नवंबर को है, तो चलिए जानें बाबा के पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है. 
मान्यता है कि काल भैरव की पूजा करने से सभी प्रकार की नकारात्मकता और बुरी शक्तियां दूर होती हैं. काल भैरव तंत्र-मंत्र के देवता भी माने गए हैं, इसलिए उनकी पूजा साधक निशिता मुहूर्त में भी करते हैं. इस बार महाकाल की जयंती 16 नवंबर दिन बुधवार को होगी. काल भैरव जयंती के दिन ब्रह्म योग भी बन रहा है.

काल भैरव जयंती 2022 तिथि
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 16 नवंबर दिन बुधवार को सुबह 05 बजकर 49 मिनट से हो रहा है. यह तिथि अगले दिन 17 नवंबर गुरुवार को सुबह 07 बजकर 57 मिनट तक है. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर काल भैरव जयंती 16 नवंबर को मनाई जाएगी. इस दिन सूर्योदय सुबह 06 बजकर 44 मिनट पर होगा.

Shukra Rashi Parivartan : कल शुक्र के राशि परिवर्तन से इन राशियों पर बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा   

काल भैरव जयंती 2022 पूजा निशिता मुहूर्त
काल भैरव तंत्र मंत्र के देवता हैं, इसलिए मंत्रों की सिद्धि के लिए निशिता मुहूर्त में उनकी पूजा अर्चना की जाती है. काल भैरव जयंती पर निशिता मुहूर्त रात 11 बजकर 40 मिनट से देर रात 12 बजकर 33 मिनट तक है.

काल भैरव जयंती 2022 पूजा सुबह का मुहूर्त
सुबह में काल भैरव की पूजा सुबह 06 बजकर 44 मिनट से सुबह 09 बजकर 25 मिनट के मध्य होगी. इसके अलावा शाम को 04 बजकर 07 मिनट से शाम 05 बजकर 27 मिनट, शाम 07 बजकर 07 मिनट से रात 10 बजकर 26 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है.

 Surya Gochar: 16 नवंबर को सूर्य का गोचर, इन 4 राशियों की चमकेगी सोने की तरह किस्मत 

ब्रह्म योग में काल भैरव जयंती
ब्रह्म योग 16 नवंबर को सुबह से लेकर देर रात 01 बजकर 09 मिनट तक है. उसके बाद इंद्र योग शुरू हो जाएगा. ब्रह्म योग को मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है.

 भगवान शिव के पूजा मंत्र

ॐ हराय नम:।।

ॐ महेश्वराय नम:।।

ॐ शूलपाणये नम:।।

ॐ पिनाकवृषे नम:।।

ॐ शिवाय नम:।।

ॐ पशुपतये नम:।।

आज से शुरू हो रहा अगहन महीना, भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण से है खास कनेक्शन

काल भैरव जयंती का महत्व
इस तिथि पर भगवान शिव के काल भैरव स्वरूप की उत्पत्ति हुई थी. जब माता सती ने अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ के हवन कुंड में आत्मदाह कर लिया, तब भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हो उठे और दक्ष को दंड देने के लिए अपने अंशावतार काल भैरव को प्रकट किया. काल भैरव ने राजा दक्ष को शिव के अपमान और सती के आत्मदाह के लिए दंडित किया.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी

 

Url Title
lord shiva rudra avatar Kaal Bhairav Jayanti in 16 november subah aur sandhya samay puja shubh Muhurat
Short Title
16 नवंबर को ब्रह्म योग में है काल भैरव जयंती, ये है सुबह और निशिथा पूजा मुहूर्त
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
16 नवंबर को ब्रह्म योग में है काल भैरव जयंती, ये है सुबह और निशिथा पूजा मुहूर्त का शुभ समय
Caption

16 नवंबर को ब्रह्म योग में है काल भैरव जयंती, ये है सुबह और निशिथा पूजा मुहूर्त का शुभ समय

Date updated
Date published
Home Title

16 नवंबर को ब्रह्म योग में है काल भैरव जयंती, ये है सुबह और निशिथा पूजा मुहूर्त का शुभ समय