देश का 543 लोकसभा सीटों पर जीत और हार की तस्वीर तो साफ हो गई लेकिन जोड़तोड़ की राजनीति क्या करवट लेगी ये अभी सामने आना बाकी है. चुनावी जोड़-तोड़ के बीच चलिए आपको ये भी बताएं कि इसबार लोक सभा चुनाव में कुल 6 संत मैदान में उतरे थे और किस पार्टी से, साथ ही कितने हारे और कितने जीते हैं.
साक्षी महाराज
स्वामी सच्चिदानंद हरि साक्षी जी महाराज यूपी के कासगंज जिले से हैं लेकिन चुनाव वह बीजेपी की सीट पर उन्नाव से चुनावी मैदान में उतरे थे. उनके सामने अन्नु टंडन (इंडिया गठबंधन) से थे. और इंडिया गठबंधन को हराकर साक्षी महाराज ने जीत हासिल कर ली है.
साक्षी महाराज ने राजनीति में पहला कदम 1991 में रखा था, जब भाजपा वे मथुरा लोकसभा के लिए चुने गए. फिर 1996 और 1998 में फर्रुखाबाद से सांसद बने.इसके बाद 2000 में वह समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल हो गए.जनवरी 2002 में उन्होंने समाजवादी पार्टी की आलोचना करते हुए उस पर तानाशाही, जातिवाद और पूंजीवाद का आरोप लगाया और वापस बीजेपी में शामिल हो गए थे.
साध्वी निरंजन ज्योति
बीजेपी कैंडिजेट निरंजन ज्योति फतेहपुर लोकसभा सीट से खड़ी थीं और उनके सामने सपा के नरेश उत्तम पटेल थे, जिन्होंने साध्वी को हरा दिया है.
साध्वी 2014 में 16वीं लोकसभा के लिए फतेहपुर निर्वाचन क्षेत्र से सांसद चुनी गई. वह भाजपा सरकार में केंद्रीय मंत्री बनीं. इसके बाद 2019 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर बहुजन समाज पार्टी के सुखदेव प्रसाद वर्मा को हराया.हमीरपुर में जन्मी साध्वी निरंजन ज्योति धार्मिक कथावाचक रही हैं. मूसा नगर, कानपुर देहात में साध्वी निरंजन ज्योति का आश्रम है.
सुमेधानंद सरस्वती
सीकर लोकसभा सीट से बीजेपी कैंडिडेट सुमेधानंद सरस्वती को इंडिया अलायंस की ओर से माकपा के अमराराम ने हरा दिया है. सुमेधा यहां 2 बार सांसद रह चुके थे.
सुमेधानन्द सरस्वती 2014 में 16वीं और 2016 में 17वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए.1972 में संस्कृत पढ़ने के लिए उन्होंने अपना घर छोड़ दिया.आगे चलकर उन्होंने संन्यास ग्रहण कर लिया.सुमेधानन्द सरस्वती को योग में विशेष रुचि है.वह मानव संसाधन विकास संबंधी स्थायी समिति, आचार समिति, परामर्शदात्री समिति, कृषि मंत्रालय और हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्य रह चुके हैं.
चिंतामणि महाराज
छत्तीसगढ़ की सरगुजा लोकसभा सीट से बीजेपी कैडिडेट चिंतामणि महाराज ने जीत हासिल की है और वह कांग्रेस प्रत्याशी शशि सिंह को हराए हैं.
चिंतामणि महाराज लगभग 11 साल पहले बीजेपी में थे.भाजपा में उपेक्षा के आरोप पर उन्होंने 2008 में सामरी विधानसभा से ही निर्दलीय चुनाव लड़ा था, पर हार गए थे.इसके बाद चिंतामणि महाराज बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए.साल 2013 में उन्हें कांग्रेस ने लुंड्रा से टिकट दिया था और वे विधायक बने.2018 में दोबारा चिंतामणि महाराज को कांग्रेस ने सामरी से प्रत्याशी बनाया और वे दूसरी बार भी विधायक बने.अब फिर बीजेपी में उनकी घर वापसी हो गई है.
अर्थी बाबा
गोरखपुर लोकसभा से निर्दलीय लड़े राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा को बीजेपी कैडिडेट रवि किशन ने हराया है.
अर्थी बाबा के नाम से सुर्खियां बटोर रहे राजन यादव ने एमबीए की डिग्री ली है.उन्हें विदेश में नौकरी करने का भी ऑफर आया था, लेकिन वह नहीं गए.उनकी इच्छा थी कि वह समाज सेवा करें.वे कहते हैं कि समाज सेवा के भाव की वजह से ही वह अब चुनाव में उतरे हैं.
शांतिगिरी महाराज
नासिक लोकसभा सीट से निर्दलीय लड़े शांतिगिरी महाराज को शिवसेना के राजाभाउ वाजे ने हराया है.
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लोकसभा चुनाव में उतरे थे ये 6 संत, लेकिन बीजेपी के इन 2 को ही मिली जीत