डीएनए हिंदी: नया साल शुरू होते ही लोगों में सालभर के त्योहारों को लेकर एक्साइटमेंट बढ़ जाती है. साल के पहले महीने यानी जनवरी में Lohri मनाई जाती है. यह त्योहार हर साल 13 जनवरी को मनाया जाता है. मुख्यतौर पर पंजाब का यह त्योहार अब हर किसी की जिंदगी का हिस्सा बन गया है और सभी लोग इसे लेकर खासे उत्साहित रहते हैं. इसी चीज को देखते हुए हम आज आपको लोहड़ी से जुड़ी दुल्ला भट्टी की कहानी बताने वाले हैं.

लोहड़ी के त्योहार पर एक कहानी सुनाने की परंपरा है. लोग आग के चारों ओर बैठते हैं और फिर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनाई जाती है. इस कहानी का एक खास महत्व है. दुल्ला भट्टी मध्यकाल के एक वीर थे जिन्होंने अकबर के शासन काल में मुगलों के विरुद्ध विद्रोह का नेतृत्व किया था. उन्हें 'अब्दुल भट्टी' भी कहते हैं. उनका जन्म पंजाब क्षेत्र के एक राजपूत परिवार में हुआ था. उन्हें पंजाब पुत्र भी कहा जाता है. दुल्ला भट्टी की कथाएं लोकगाथाओं में भरी पड़ी हैं. उन्हें 'उपकारी डाकू' की तरह याद किया जाता है. लोहड़ी का त्योहार उनकी याद में मनाया जाता है.

दुल्ला भट्टी की कहानी

सुंदरदास नाम का एक किसान था. उसकी दो बेटियां थीं सुंदरी और मुंदरी. उस दौर में मुगल सरदारों का आतंक था और गांव के नंबरदार लड़कियों के लिए बड़ा खतरा था. वो सुंदरदास को डराता था कि अपनी बेटियों की शादी उससे करवा दे. सुंदरदास ने इसकी शिकायत दुल्ला भट्टी से कही. दुल्ला नंबरदार के गांव जा पहुंचा और उसके खेत जला दिए. इसके बाद सुंदरदास की बेटी की शादी वहां करवाई जहां वो चाहता था. शादी के शगुन में शक्कर दी. इस दिन के बाद से आजतक लोहड़ी की रात को आग जलाकर पूजा-पाठ की जाती है. 

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Lohri 2022 date shubh muhurat dulla bhatti story and its significance
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कौन है दुल्ला भट्टी ? Lohri पर सुनाई जाती है जिसकी वीरता की कहानी
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Lohri 2022 story and significance
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लोहड़ी 2022: दुल्ला भट्टी की कहानी

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