Lathmar Holi Barsana: इस साल होलिका दहन 13 मार्च को किया जाएगा और रंगोत्सव 14 मार्च को मनाया जाएगा. होली का पर्व आने में अभी दिन है लेकिन मथुरा-वृंदावन और बरसाना में होली का उत्सव शुरू हो चुका है. भगवान कृष्ण की नगरी में होली पर खूब धूम देखने को मिलती है. यहां पर होली से पहले कई उत्सव होते हैं. आज 8 मार्च को बरसाना ही लट्ठमार होली (Lathmar Holi 2025) खेली जा रही है. यह बिल्कुल अनूठी और अलग होली है. इस होली में महिलाएं पुरुषों को लाठी से मारती है और पुरुषों बचने के लिए भागते हैं.
कैसे खेलते हैं लट्ठमार होली?
लट्ठमार होली मथुरा और बरसाने के गांवों में खेली जाती है. इस दिन महिलाएं लाठियों से पुरुषों पर प्रहार करती हैं. वह सिर पर साफा और कमर में फेंटा बांधकर होली में शामिल होते हैं. इस तरह वह लाठियों से बचने की कोशिश करते हैं.लट्ठमार होली का यह कार्यरक्रम सामूहिक रूप से होता है. इस होली में रंगों के साथ-साथ फूलों की होली भी मनाई जाती है.
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महिला और पुरूष राधा रानी और भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन होकर होली खेलते हैं. बरसाने की लट्ठमार होली अनूठी परंपरा के चलते पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. अगर किसी पुरुष को लाठी लग जाती है तो सजा के तौर पर उसे महिलाओं के कपड़े पहनाकर नाचना पड़ता है. यह उत्सव पूरी तरह से उल्लास, आनंद, हंसी-मजाक और मस्ती से भरा होता है.
कैसे हुई लट्ठमार होली की शुरुआत?
लट्ठमार होली मनाने का इतिहास पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है. इसकी कथा राधा और कृष्ण के प्रेम से जुड़ी है. जब भगवान कृष्ण नंदगांव में थे तब राधारानी बरसाना में थीं. श्रीकृष्ण राधारानी से मिलने गए थे तो उन्होंने राधा रानी और गोपियों को चिढ़ाना शुरू कर दिया. इसके बाद राधा रानी सखियों के साथ श्री कृष्ण और ग्वालों को लाठियों से पीटने लगीं. इसी घटना के बाद से लट्ठमार होली मनाने की शुरुआत हुई थी.
Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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Holi 2025
आज है लट्ठमार होली, जानें क्यों पुरुषों को लाठी से पीटती हैं महिलाएं? बेहद दिलचस्प है किस्सा