डीएनए हिंदी: सावन में कांवड़ यात्रियों (Sawan Kanwar Yatri) की बड़ी धूमधाम रहती है.सावन आते ही कांवड़ियों के अंदर एक अलग ही उमंग उत्साह आ जाता है. ये कांवड़ लेकर निकल पड़ते हैं. देवघर, हरिद्वार कई जगह से वे पानी भरते हैं और अपनी यात्रा शुरू करते हैं. सावन में कांवड़ यात्रा का काफी महत्व माना जाता है.

इस साल कांवड़ यात्रा 14 जुलाई से शुरू होकर 26 जुलाई तक चलने वाली है. इस दौरान श्रद्धालु गंगा से जल भरकर शिवजी को चढ़ाते हैं. इसके पीछे भी एक कहानी है. आईए जानते हैं कांवड़ यात्रा में गंगा से पानी भरकर ही क्यों शिव जी का अभिषेक किया जाता है 

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क्यों गंगा से भरते हैं पवित्र पानी (Why Kanwar Pilgrims takes Ganga Water in Hindi)

ऐसी  मान्यता है कि इस महीने में ही समुद्र मंथन के दौरान विष निकला और भगवान शिव ने उस विष का पान किया.जिसके बाद उनके शरीर में जहर फैल गया और उनका गला नीला हो गया, इसलिए उन्हें नीलकंठ कहा जाता है.देवताओं ने जब उन्हें देखा तो उनपर ठंडा पानी डाला और वे शांत हो गए लेकिन विष अंदर ही रहा.

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इसके बाद से ही सावन के महीने में भगवान शिव जी पर जल चढ़ाने का रिवाज है. पहले देवताओं ने उन पर जल चढ़ाया.उसके बाद भगवान शिवजी के भक्त उन पर जल चढ़ाने लगे.कांवड़ के बारे में कहा जाता है कि सबसे पहले भगवान परशुराम ने कांवड़ से गंगा का पवित्र जल भगवान शिवजी पर चढ़ाया था उसके बाद भगवान शिवजी पर सावन के महीने में जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई. भोले के भक्त जय भोलेनाथ के नारों के साथ अपने कंधे पर कांवड़ लेकर चलते हैं. 

कांवड़ का मतलब कंधा और शिव भक्त कंधे  पर पवित्र जल का कलश या डिब्बा लेकर पैदल यात्रा करते हुए शिवलिंग पर चढ़ाते हैं. इस यात्रा के दौरान वे अपनी नजदीकी गंगा से जल भरते हैं. 

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Kanwar Yatra 2022: क्यों 'गंगा जल' ही भरते हैं कांवड़ यात्री, जानें इसके कथा
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Kanwar Yatra 2022: क्यों 'गंगा जल' ही भरते हैं कांवड़ यात्री, इसके पीछे भी है एक पौराणिक कथा