डीएनए हिंदीः Story of Kinnar Marriage- समाज में स्त्री-पुरुष के अलावा एक तीसरा समाज भी है जिसे किन्नर (Kinnar Or Transgender) या थर्ड जेंडर कहा जाता है. हिंदू धर्म ग्रंथों (Hindu Scriptures) में स्त्री-पुरुष के अलावा कई जगहों पर यक्ष, गंधर्व और किन्नरों का जिक्र मिलता है. इनकी अपनी एक अलग ही दुनिया है. किन्नरों से जुड़ी कई ऐसी रहस्यमयी और रोचक मान्यताएं व परंपराएं हैं, जिनके बारे में आपने शायद ही सुना होगा. आज हम आपको किन्नरों की एक ऐसी ही परंपरा के बारे में बताने वाले हैं, जिसे जान कर आप भी हैरान रह जाएंगे. दरअसल ये परंपरा है किन्नरों की अरावन देवता से शादी का (Kinnar Vivah) . किन्नर 18 दिनों तक चलने वाले इस शादी समरोह को बहुत ही भव्य और विशाल स्तर पर आयोजित करते हैं (Kinnar Marriage Festival in Tamilnadu). तो चलिए जानते हैं इस परंपरा के बारे में..
अरावन देव से होती है किन्नरों की शादी (Kinnar Marriage Iravan Or Aravan Dev)
तमिल कैलेंडर के अनुसार नए साल की पहली पूर्णिमा पर किन्नर हर साल तमिलनाडु में विल्लुपुरम जिले के कुनागम गांव में विवाह समारोह आयोजित करते हैं. जो कि पूरे 18 दिनों तक चलता है. इस दौरान यहां नाच-गानों आदि के कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं. देश भर के हजारों किन्नर इस समारोह में भाग लेने के लिए इकट्ठा होते हैं. विवाह समारोह के 17 वें दिन किन्नर दुल्हन के रूप में सजती-संवरती हैं और फिर भगवान अरावन के मंदिर जाकर उनसे विवाह रचाते हैं. इसके लिए मंदिर के पुजारी किन्नरों के गले में अरावन देव के नाम का मंगलसूत्र पहनाते हैं. जिससे किन्नरों की शादी अरावन देव से हो जाती है.
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सिर्फ एक रात के लिए होती है ये शादी (Why Kinnar Marriage For One Day With Aravan Dev)
भगवान अरावन से शादी रचाने के बाद किन्नर नाच-गाकर अपनी खुशी का इजहार करते हैं. किन्नरों की ये खुशी केवल एक ही दिन के लिए होती है, क्योंकि उनकी ये शादी सिर्फ एक रात के लिए ही होती है. ऐसे में परंपरा अनुसार 18वें दिन अरावन देव की प्रतिमा को सिंहासन पर बैठाकर पूरे गांव में जुलूस निकाला जाता है. जिसके बाद पंडित सांकेतिक रूप से भगवान अरावन देव का मस्तक काट देते हैं, जिससे सभी किन्नर विधवा हो जाती हैं. ऐसे में किन्नर अपनी चूड़ियां तोड़ देते हैं और विधवा का लिबास यानी सफेद साड़ी पहन कर विलाप करते हैं. इसके बाद 19वें दिन सभी किन्नर अपना मंगलसूत्र अरावन देव को समर्पित कर देते हैं और नया मंगलसूत्र धारण करते हैं.
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कौन हैं अरावन देव और क्या है इस परंपरा का महत्व (Arjuna Son Aravan ( Iravan) Story in Hindi)
किन्नरों के आराध्य देव भगवान अरावन का इतिहास महाभारत से जुड़ा है. अरावन देव अर्जुन और नागकन्या उलूपी के संतान थे. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत युद्ध शुरू होने से पहले पांडव मां काली की पूजा करने पहुंचे, तो वहां उन्हें एक राजकुमार की बलि देने के लिए कहा गया. ऐसे में अरावन देव बलि के लिए राजी हो गए. लेकिन बलि के लिए तैयार राजकुमार का विवाहित होना भी जरूरी था. ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं मोहिनी रूप धारण कर अरावन से विवाह रचाते हैं. जिसके बाद अगले दिन अरावन देव स्वयं अपना मस्तक काटकर देवी को चढ़ा देते हैं.
इस स्थिति में मोहिनी रूप धारण किए हुए श्रीकृष्ण विधवा बनकर रोने लगते हैं. श्रीकृष्ण ने पुरुष होकर भी औरत बनकर अरावन से विवाह किया था. ऐसे में किन्नर यह मानते हैं कि श्रीकृष्ण का यह रूप किन्नर के समान था, इसलिए जैसे श्रीकृष्ण ने अरावन से विवाह किया था, वैसे ही किन्नर भी अरावन देव को अपना पति मानकर उनसे शादी करते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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सिर्फ एक रात की दुल्हन बनने के लिए यहां 18 दिन तक होती है विवाह रस्म