डीएनए हिंदी : भगवान शिव की आराधना के लिए कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2022) का विशेष महत्त्व है. शिव यूं तो तुरंत प्रसन्न होने वाले देव माने जाते हैं पर कांवड़ यात्रा उन्हें पसंद करने का थोड़ा टेढ़ा रूट है. कांवड़ यात्रा को सबसे मुश्किल प्रार्थनाओं में एक माना जाता है. इस यात्रा में कांवड़िया उत्तराखंड और बिहार कुछ मशहूर तीर्थ स्थल मसलन हरिद्वार, गौमुख, गंगोत्री और सुलतानगंज की यात्रा करते हैं. इन जगहों से गंगाजल लेकर प्रमुख शिवमंदिरों की यात्रा करते हैं.
इन जगहों की यात्रा करते हैं कांवड़िया
गंगाजल लेकर जिन शिव मंदिरों की यात्रा (Kanwar Yatra 2022) की जाती है उनमें उत्तर प्रदेश के बेहद मशहूर काशी विश्वनाथ मंदिर, औघड़नाथ और पुरा महादेव मंदिर और झारखंड के बाबा बैद्यनाथ मंदिर शामिल हैं. कांवड़िया इन मंदिरों की प्रमुखता से यात्रा करते हैं.
औघड़नाथ मंदिर उत्तर प्रदेश के मेरठ में है जबकि पुरा महादेव मंदिर बागपत में है. इस साल कांवड़ यात्रा सावन की शुरुआत होते ही 14 जुलाई को प्रारम्भ होगी और अगले एक पखवाड़े के लिए 26 जुलाई तक चलेगा. इस बार कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2022) दो साल बाद होगी. पिछले दो साल यह यात्रा कोविड की वजह से बंद थी.
Kanwar Yatra 2022 को लेकर हैं ये गाइड लाइंस
इस बार की कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2022) सुचारु रूप से संपन्न हो सके इस ख़ातिर कई गाइडलाइन्स ज़ारी किए गए हैं. इनके मुताबिक़ कांवड़ियो के मुख्य मार्ग दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस वे और अन्य रास्तों में कहीं भी शराब की दूकान नहीं होनी चाहिए. कांवड़ियों को सख्त ताक़ीद की गई है कि वे भड़काने वाले गाने न चलाएं. यात्रा में लाठी, डंडे और भाले जैसे प्रतिबंधित रहेंगे. गौरतलब है कि ये फ़ैसले 7 राज्यों की पुलिस ने मिलकर लिए हैं. हरियाणा, उत्तर-प्रदेश और हिमाचल प्रदेश की नोडल पुलिस हरिद्वार के कंट्रोल रूम में मौजूद रहेगी.
Kanwar Yatra 2022: क्यों 'गंगा जल' ही भरते हैं कांवड़ यात्री, इसके पीछे भी है एक पौराणिक कथा
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