हिंदू विवाह के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है. इसमें यह जांचा जाता है कि पुरुष और महिला की कुंडली विवाह के लिए उपयुक्त है या नहीं. विवाह के लिए ज्योतिषी मुख्यतः कुंडली में 36 मिलान देखते हैं.

विवाह के संदर्भ में ज्योतिषी मुख्य रूप से स्त्री और पुरुष की कुंडली की दस अनुकूलताओं को देखते हैं. इसमें गण मिलान को विशेष महत्व दिया जाता है.

विवाह के लिए कुंडली मिलान में 36 गुणों का मिलान होता है:

  1. नाड़ी के 8 गुण
  2. भकूट के 7 गुण
  3. गण मैत्री के 6 गुण
  4. ग्रह मैत्री के 5 गुण
  5. योनि मैत्री के 4 गुण
  6. ताराबल के 3 गुण
  7. वश्य के 2 गुण
  8. वर्ण के 1 गुण 
     

गण में भी तीन वर्ग हैं

सब में गण मुकाबलों को विशेष महत्व दिया जाता है. गणपोरुथा के अनुसार, सभी जन्म नक्षत्रों को तीन समूहों में विभाजित किया गया है, अर्थात् देव गण, असुर या राक्षस गण और मानव गण.

 

देवगण -  ये लोग सात्विक प्रवृत्ति के होंगे. ऐसे लोग भी होंगे जो दूसरों को नुकसान नहीं पहुँचाते और जो उनके पास है उसी में संतुष्ट रहते हैं.

राक्षस गण- ये लोग असुर समूह के होते हैं वे बलपूर्वक किसी भी चीज़ को हड़पने वाले होते हैं. वे निर्दयी हैं और किसी भी तरह से जो चाहते हैं उसे छीनने की कोशिश करते हैं.

मानव गणः इस गण के लोग स्वाभाविक रूप से ईर्ष्यालु और द्वेषपूर्ण होते हैं. वे आनंद के लिए चरम सीमा तक जाने की कोशिश करेंगे. वे जिद छोड़ने को तैयार रहेंगे. प्रत्येक समूह को इस आधार पर विभाजित किया गया है कि समान विशेषताओं वाले लोगों के बीच वैवाहिक संबंध रखना बेहतर है. इसीलिए कहा जाता है कि एक ही जाति में विवाह का रिश्ता रखना बेहतर होता है.

ज्योतिष शास्त्र में गण पोरुथम की जांच करते समय कुछ बातों का पालन किया जाता है. इसकी कुछ मुख्य बातें इस प्रकार हैं:

  1. यदि स्त्री और पुरुष का जन्म नक्षत्र एक ही गण हो तो गण सर्वोत्तम होता है
  2. महिला का जन्म नक्षत्र मानव हो और पुरुष का जन्म नक्षत्र देव गुण हो, गण ठीक  है.
  3. यदि महिला का जन्म नक्षत्र मानव है और पुरुष का जन्म नक्षत्र असुर गुण है, तो गण मध्यम है.
  4. यदि महिला का जन्म नक्षत्र देवगण है और पुरुष का जन्म नक्षत्र मानव है, तो गण हीन है. लेकिन यह भी तर्क दिया जाता है कि यह मध्य है.
  5. यदि स्त्री का जन्म नक्षत्र असुर गण हो और पुरुष का जन्म नक्षत्र मानव हो तो गण का कोई मेल नहीं होता.
  6. यदि स्त्री का जन्म नक्षत्र देवगण और पुरुष का जन्म नक्षत्र असुरगण हो तो यह अशुभ माना जाता है.
  7. यदि महिला का जन्म नक्षत्र असुरगण है और पुरुष का जन्म नक्षत्र देवगण है, तो कोई गण मेल नहीं खाता है.

साथ ही यह भी कहा जाता है कि यदि गण अलग हों तो उनके वैवाहिक जीवन में झगड़े और मतभेद होते हैं. लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि विवाह अनुकूलता का निर्धारण केवल लिंग अनुकूलता को देखकर नहीं किया जा सकता है. गण मिलान कुंडली के दस मिलानों में से एक है. ज्ञात हो कि ज्योतिषीय दृष्टि से नक्षत्र मिलान की जांच आठ मेलों और रज्जु तथा वेध दोषों से की जाती है.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)

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How much importance should be given to the matching of bride and groom in marital horoscope?
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वैवाहिक कुंडली में वर-वधु के गण मिलान को कितना महत्व देना चाहिए?
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विवाह में गण मिलान कितना जरूरी है?
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विवाह में गण मिलान कितना जरूरी है?

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वैवाहिक कुंडली में वर-वधु के गण मिलान को कितना महत्व देना चाहिए?

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