डीएनए हिंदी : अमतौम जब हम किसी मंदिर में जाते हैं, तो अपना सिर ढ़क (Hindu Rituals) लेते हैं. खासतौर से महिलाएं कभी भी मंदिर में बाल खोल कर प्रवेश नहीं करती हैं. अगर बाल खुले होते हैं तो सिर को (Astro Tips) पल्लू या दुपट्टे से ढ़क लेती हैं. ऐसे में कई बार मन में ये सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों किया जाता है, इसके पीछे की वजह क्या है? दरअसल इसके पीछे एक ठोस वजह से. आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताने वाले हैं कि आखिर महिलाएं पवित्र स्थल पर बाल (Open Hair In Temple) खोलकर क्यों नहीं जाती हैं, तो आइए जानते हैं, इसके पीछे क्या कारण हैं..
मंदिर में बाल खोल कर क्यों नहीं किया जाता प्रवेश
पूजा में नहीं लगता ध्यान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बाल खोलकर पूजा पाठ करने से पूरा ध्यान बाल संवारने में रहता है और भगवान में ध्यान कम लगता है. यही कारण है कि महिलाओं को मंदिर में या किसी कथा पूजा में बाल खोलकर बैठने से मना किया जाता है.
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क्रोध का है प्रतीक
इसके अलावा बाल खोलकर रखना क्रोध का प्रतीक माना जाता है और इसे नकारात्मकता से जोड़कर देखा जाता है.
खुले बाल रिश्तों को करता है कमजोर
मान्यता है कि जब माता सीता का विवाह राम से हुआ तो उनकी माता सुनयना ने देवी सीता से कहा था अपने बालों को बांधकर रखना इससे रिश्ता मजबूत होता है और खुले बाल रिश्ते कमजोर करते हैं.
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होता है शोक और अमंगल का प्रतीक
पुराणों में भी यह जिक्र मिलता है कि जब माता कैकेयी कोप भवन में गई थीं तो उन्होंने अपने केस खोल दिए थे और रूदन करने लगी थीं. यही कारण है कि खुले बाल शोक और अमंगल के प्रतीक माने जाते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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बाल खोल कर मंदिर में क्यों नहीं करना चाहिए प्रवेश? जानिए क्या है माता सीता और केकई से इसका कनेक्शन