डीएनए हिंदी: Guru Nanak Dev Jayanti 2022 Prakash Parv 10 Famous Gurdwaras of India- कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु नानक जयंती (Guru Nanak Birthday) का पर्व यानी प्रकाश पर्व होता है. आज यानी 8 नवंबर 2022 प्रकाश पर्व मानाया जा रहा है. सिख धर्म में इस दिन का खास महत्व है. कहा जाता है इसी दिन साल 1469 में कार्तिक पूर्णिमा तिथि पर गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था.
इस दिन को गुरु पर्व के नाम से भी जाना जाता है. इस दौरान देशभर के गुरुद्वारों में विभिन्न कार्यक्रमों के साथ-साथ कीर्तन का भी आयोजन किया जाता है. गुरु नानक जयंती के दिन गुरुद्वारों में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है. चलिए जानते हैं देश के उन प्रचलित गुरुद्वारों के बारे में, जहां सभी धर्म के लोग मत्था टेकने आते हैं और श्रद्धाभाव से प्रार्थना करते हैं
गुरुद्वारा हरमंदिर साहिब सिंह, अमृतसर
दुनियाभर में स्वर्ण मंदिर प्रसिद्ध गुरुद्वारों में से एक है. यह पंजाब के अमृतसर शहर में स्थित है. इस गुरुद्वारे को कई बार नष्ट करने का प्रयास किया गया, जितनी बार भी यह नष्ट किया गया है इसे हिंदुओं और सिक्खों द्वारा दोबारा बनाया गया. सिखों के चौथे गुरू रामदास जी ने इस गुरुद्वारे की नींव रखी थी. कहा जाता है कि गुरुजी ने लाहौर के एक सूफी सन्त मियां मीर से दिसम्बर, 1588 में इस गुरुद्वारे की नींव रखवाई थी.
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गुरुद्वारा श्री हरमंदिर जी, पटना
गुरुद्वारा श्री हरमंदिर जी को सिखों के पांच पवित्र तख्तों में से एक माना जाता है. इस स्थान पर सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म हुआ था. इनका जन्म 26 दिसम्बर 1666 शनिवार को हुआ था. यह गुरुद्वारा महाराजा रंजीत सिंह द्वारा बनवाया गया था.
तख्त श्री दमदमा साहिब, तलवंडी
तख्त श्री दमदमा साहिब गुरुद्वारा भी प्रसिद्घ गुरुद्वारों में से एक माना जाता है. दमदमा का अर्थ है ऐसी जगह जहां सांस ली जा सकती है. माना जाता है तलवंडी साहू में गुरु गोबिंद सिंह जी ने जंग के बाद आराम किया था. यह पंजाब के भटिंडा शहर से करीब 28 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है.
गुरुद्वारा बंगला साहिब, दिल्ली
दिल्ली में स्थित बंगला साहिब गुरुद्वारा 1664 में गुरु हरकृष्ण देव जी के सम्मान में बनाया गया था. बंगाल साहिब गुरुद्वारे के प्रांगण में स्थित तालाब के पानी को अमृत के समान जीवनदायी और पवित्र माना जाता है.
गुरुद्वारा शीशगंज, दिल्ली
पुरानी दिल्ली में स्थित गुरुद्वारा शीशगंज धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है इस गुरुद्वारे में हिन्दू, सिख और अन्य धर्मों के लोग समान आस्था से मत्था टेकने आते हैं. यह गुरुद्वारा गुरु तेगबहादुर जी से संबंधित है.
गुरुद्वारा श्री हेमकुंठ साहिब, उत्तराखंड
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित यह गुरुद्वारा बेहद खास और प्रसिद्ध है. यह गुरुद्वारा अपनी वास्तुकला के लिए जाना जाता है. समुद्र स्तर से 4000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह गुरुद्वारा साल में अक्टूबर से लेकर अप्रेल महीने तक बर्फ पड़ने की वजह से बंद रहता है.
गुरुद्वारा मट्टन साहिब, अनंतनाग
श्रीनगर से 62 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुरुद्वारा मट्टन साहिब के बारे में कहा जाता है कि गुरु नानक देव जी अपनी यात्रा के दौरान यहां एक महीने के लिए ठहरे थे.
गुरुद्वारा पौंटा साहिब, हिमाचल प्रदेश
गुरुद्वारा पौंटा साहिब के बारे में सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिख धर्म के दसवें ग्रंथ में विस्तार से लिखा है. कहा जाता है कि गुरु गोबिंद सिंह जी यहां चार साल के लिए रुके थे.
गुरुद्वारा सेहरा साहिब, सुल्तानपुर
मान्यताओं के अनुसार पंजाब के इस गुरुद्वारे से गुरु हर गोबिंद सिंह जी की बारात गुज़री थी. इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि इस शहर में ही सेहरा बांधने की रस्म पूरी की गई थी. जिसके बाद यहां गुरुद्वारा बनाया गया और उसका नाम सेहरा साहिब रखा गया.
श्री हजूर साहिब अब्चालनगर साहिब गुरुद्वारा, महाराष्ट्र
श्री हजूर साहिब अब्चालनगर साहिब गुरुद्वारा को 5 तख्तों में से एक माना जाता है. यह महाराष्ट्र के नांदेड़ में स्थित है, यहीं पर गुरू गोबिंद सिंह जी ने अपनी आखिरी सांस ली थी. जिसके बाद महाराज रणजीत सिंह जी ने सन 1832 में इस गुरुद्वारे का निर्माण कराया था.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है
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